कार्यशाला में चौताल और धमार की गायन शैली की बारीकियों सीखी

लोकरंग फाउंडेशन और अवध भारती संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में फाग कार्यशाला का आयोजन

क्राइम रिव्यू
 
लखनऊ। लोकरंग फाउंडेशन और अवध भारती संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में प्राग नारायण रोड पर कल्याण भवन के सामने जोशी क्लासेज के ऑडिटोरियम में चल रही फाग गीतों की कार्यशाला के तीसरे दिन का शुभारम्भ कला वसुधा की संपादक एवं भातखण्डे की प्रो ऊषा बनर्जी ने किया। श्रीमती बनर्जी ने अवधी लोक साहित्य में फाग गीतों के लालित्य का विवेचन करते हुए कहा कि इस कार्यशाला से इन गीतों को प्रतिष्ठा तो मिलेगी ही साथ ही नई पीढ़ी इससे जुड़ेगी।
कार्यशाला में विश्वंभर नाथ अवस्थी तथा तमाम प्रतिभागी उपस्थित रहे। कानपुर से कल्पना सक्सेना, बाराबंकी से सरोज श्रीवास्तव, गीता शुक्ला, जया श्रीवास्तव, डाॅ प्रतिभा मिश्रा, सरिता अग्रवाल, सुधा कटियार, राकेश, सौरभ कमल आदि प्रतिभागियों ने फाग की विभिन्न विधाओं का गाकर रसास्वादन किया और माहौल को रंगीन कर दिया। प्रशिक्षक शिवपूजन शुक्ल ने चौताल और धमार की गायन शैली की बारीकियों को विस्तार से बताया। लोकरंग की सचिव कुसुम वर्मा और अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष राम बहादुर मिसिर ने सभी प्रतिभागियों और मुख्य अतिथि के प्रति आभार व्यक्त किया। कुसुम वर्मा ने बताया कि फागुन में फाग गाने का चलन बसंत पंचमी से आठौ अर्थात राधाष्टमी तक है। पूरे अवध प्रांत में बड़ी धूमधाम से फाग गाया जाता है जिसमें लोग पूरी मण्डली के साथ  फाग गाते हैं। अवध में घर-घर दरवाजे पर पहुँच कर मंडली फाग गाती है और लोग एक-दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर गले मिलते हैं।कार्यशाला 26 मार्च तक चलेगी और 27 मार्च को मंच प्रस्तुति होगी।

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