सिक्ख धर्म के तीसरे गुरु साहिब श्रीअमरदास जी का प्रकाश पर्व श्रद्धा और सत्कार से मनाया गया

गुरुद्वारा में शबद- कीर्तन हुए और भक्तों ने छका लंगर

क्राइम रिव्यू

लखनऊ। सिक्ख धर्म के तीसरे गुरु साहिब श्रीअमरदास जी का प्रकाश पर्व आज यानि 25 मई को श्रद्धा और सत्कार से मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा में शबद- कीर्तन हुए, गुरु के पावन जीवन के बारे बताया गया और भक्तों ने लंगर छका। कोरोना से मुक्ति के लिए अरदास भी की गई।

गुरुद्वारा, नाका हिन्डोला

नाका हिन्डोला स्थित श्री गुरू सिंह सभा, ऐतिहासिक गुरूद्वारा में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के चरणों में सरबत के भले एवं कोरोना महामारी से पूरे विश्व को छुटकारा देने की अरदास की।

गुरुजी के जीवन पर डाला प्रकाश

हजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने शबद कीर्तन किये.ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने श्री गुरु अमरदास जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरू जी का जन्म अमृतसर में हुआ था। आपके पिता जी का नाम श्री तेजभान जी व माता जी का नाम सुलखणी जी था। गुरु जी का जीवन बड़ा महान था।

गुरु नानक देव जी की वाणी से हुए प्रभावित

एक बार अपने ही घर मे ही गुरु अंगद देव जी की सुपुत्री बीबी अमरो जी से गुरु जी की वाणी सुनीे और गद्गद हो गये, पूछने पर पता चला कि यह श्री गुरु नानक देव जी की बाणी है,उनकी गद्दी पर श्री गुरु अंगद देव जी बैठे हुए हैं। खडूर साहिब में आकर उन्होंने गुरु जी के दर्शन किये और निहाल हुए, तभी से वह श्री गुरु अंगद देव जी की सेवा में जुट गये। उस समय अमरदास जी की उम्र 62 वर्ष की थी। इतनी उम्र मे आधी रात को उठकर ब्यास दरिया से पानी का कलश लाकर रोज गुरु जी कोे स्नान कराते थे और दिन रात उनकी सेवा मे जुटे रहते थे। 72 वर्ष की आयु मे सेवा करते देखकर श्री गुरु अंगद देव जी ने अमरदास जी को गुरु गद्दी सौंप दी और ये बेआसरों के आसरे बन गये गुरु अमरदास जी बन गये।

प्रकाश पर्व दी बधाई

लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स. राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने श्री गुरु अमरदास जी महाराज के प्रकाश पर्व हार्दिक बधाई दी। हरमिन्दर सिंह टीटू, सतपाल सिंह मीत एवं हरविन्दर पाल सिंह नीटा ने लाकडाउन के चलते शासन द्वारा दिये गये आदेशों का विशेष ध्यान रखते हुए गुरुद्वारा परिसर के बाहर मिष्ठान एवं गुरु का लंगर वितरण करवाया। लंगर वितरण करने में दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों का भी योगदान रहा।

श्री तेग बहादुर साहिब गुरुद्वारा, यहियागंज

ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब, यहियागंज में पश्चात हजूरी रागी द्वारा शबद- कीर्तन के उपरांत ज्ञानी परमजीत सिंह ने सरबत के भले के लिए अरदास की।

सिक्ख धर्म के थे महान प्रचारक

गुरु अमरदास जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए हेड ग्रंथी ज्ञानी परमजीत सिंह ने कहा कि गुरू अमर दास जी सिख पंथ के एक महान प्रचारक थे। जिन्होंने गुरू नानक जी महाराज के जीवन दर्शन को व उनके द्वारा स्थापित धार्मिक विचाराधारा को आगे बढाया।

तृतीय नानक के रूप में किया गया स्थापित

गुरू अंगद साहिब ने गुरू अमरदास साहिब को तृतीय नानक’ के रूप में मार्च 1552 को 73 वर्ष की आयु में स्थापित किया। गुरू साहिब ने अपने कार्यों का केन्द्र एक नए स्थान गोइन्दवाल को बनाया।यही बाद में एक बड़े शहर के रूप में प्रसिद्ध हुआ। यहां उन्होंने संगत की रचना की और बड़े ही सुनियोजित ढंग से सिख विचारधारा का प्रसार किया।

लंगर की प्रथा शुरू की

उन्होंने गुरू का लंगर’ की प्रथा को स्थापित किया और हर श्रद्धालु के लिए पहले पंगत फिर संगत को अनिवार्य बनाया। गुरु अमरदास जी ने सतीप्रथा का प्रबल विरोध किया। उन्होंने विधवा विवाह को बढावा दिया और महिलाओं को पर्दा प्रथा त्यागने के लिए कहा।

गुरुद्वारा अध्यक्ष डॉ.गुरमीत सिंह ने सभी संगतों गुरु महाराज के प्रकाश पर्व पर शुभकामनाएं दी। सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि समस्त कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रसारण किया गया।

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