कोरोना काल में न्याय से वंचित रह गए देशवासी : जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद
बीएन कॉलेज, पटना में बीएन कॉलेज और जीबीआरडीएफ, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में सेमिनार का आयोजन

क्राइम रिव्यू
पटना। कोविड -19 के दौरान महीनों तक न्यायालय में काम- काज प्रभावित रह गया, जिससे बड़ी संख्या में लोग न्याय से वंचित रह गए। आज का आदमी भौतिवादी हो गया है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो गई है। ऐसे में, हमें अध्यात्म की ओर मुड़ना होगा। ये बातें शुक्रवार को राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व सदस्य एवं पटना हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद ने कही। बीएन कॉलेज, पटना में बीएन कॉलेज और जीबीआरडीएफ, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में उन्होंने मानवाधिकार के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा किया। इस मौके पर पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.(डॉ.) रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि मानवता के अस्तित्व को खतरे में डालने वाला कोरोना आखिरी वायरस नहीं होगा। मानव जिस तरह प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है, आनेवाले समय में इससे भी खतरनाक बीमारियां दस्तक दे सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस जिस तरह साइबेरिया जैसे भीषण ठंडे प्रदेश से लेकर सबसे गर्म मरुस्थल सहारा तक में अपना रौद्र रूप दिखा रहा है, यह कतई प्राकृतिक नहीं हो सकता। यह मानव द्वारा जनित वायरस ही है, इसमें अब कोई संदेह नहीं है।
पीएमसीएच में कॉर्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो.(डॉ.) वीरेन्द्र प्रसाद सिन्हा ने कहा कि कोरोना काल में मानवाधिकार का जिस तरह हनन हुआ है, उस पर आज व्यापक चर्चा की जरूरत है। कई मामलों में मानवाधिकार का यह उल्लंघन जरूरी भी था, मसलन लोगों को कोरेन्टीन करना, लोगों को घर में कैद रहने के लिए मजबूर करना, मास्क लगाने के लिए मजबूर करना आदि। डॉ. वीरेंद्र ने कहा कि कोरोना काल में चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों का कार्य बेहद सराहनीय रहा है और अकेले बिहार में इस दौरान 200 से अधिक चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी मारे गए।
कार्यक्रम में, बीएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजकिशोर प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत किया। गौतम बुद्धा ग्रामीण विकास फाउंडेशन के संस्थापक सह राष्ट्रीय संस्थापक बिलास कुमार ने फाउंडेशन के बारे में विस्तार से चर्चा किया। उन्होंने बताया कि जीबीआरडीएफ के द्वारा गरीब एवं प्रतिभशाली बच्चों के लिए अभियान – 40 (आईएएस) चलाया जा रहा है, जिसमें गरीब एवं प्रतिभशाली बच्चों को निःशुल्क तैयारी कराई जाती है। इस मौके परमानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. ऋतुरंजन, डॉ. राजीव कुमार, प्रो. इरशाद अली समेत बड़ी संख्या में छात्र – छात्राओं ने भाग लिया।