पर्पल पेन समूह द्वारा ‘हिन्दी – हमारा स्वाभिमान’ गोष्ठी संपन्न

क्राइम रिव्यू

दिल्ली। हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली की अग्रणी साहित्यिक संस्था ‘पर्पल पेन’ द्वारा ‘हिन्दी — हमरा स्वाभिमान’ गोष्ठी का आयोजन पूर्वी दिल्ली स्थित ‘गन्धर्व वेलनेस स्टूइडो’, प्रीत विहार में रविवार, 18 सितंबर को किया गया जिसमें कविगण ने श्रेष्ठ छंदोबद्ध और मुक्त छंद कविताओं का पाठ किया।

समूह की संस्थापक-अध्यक्ष सुश्री वसुधा ‘कनुप्रिया’ द्वारा संयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पुणे से पधारी गायिका एवं कवयित्री सुश्री मधु श्रीवास्तव ‘मधुश्री’ ने की और विशिष्ट अतिथि रहे वरिष्ठ हास्य कवि, कृषि विशेषज्ञ पूर्व अध्यापक डॉ. बृजपाल सिंह संत। राष्ट्रीय राजधानी एवं एनसीआर के पंद्रह कविगण ने इस गोष्ठी में गीत, मुक्तक, दोहे, माहिया, धनाक्षरी, कुण्डलियाँ, सवैया आदि पारम्परिक हिन्दी छंदों में उत्कृष्ट रचनाओं का पाठ किया। कुछ कविगण ने मुक्तछंद कवितायेँ भी पढ़ी।

माँ वीणापाणि के वंदन-पूजन के पश्चात वसुधा ‘कनुप्रिया’ ने मंचासीन अतिथिगण को माला, पटका और उपहार भेंट दे कर उनका सम्मान किया। अन्य मंचों के पदाधिकारियों का भी अंगवस्त्र द्वारा अभिनंदन किया।

सर्व श्री/सुश्री गीता भाटिया, मीनाक्षी भटनागर, वंदना मोदी गोयल, रेणुका सिंह, पुनीत सत्यम, दिनेश आनंद, निधि भार्गव, सोनम यादव, गार्गी कौशिक और रीता ‘अदा’ सहित इस अवसर पर भारत स्काउट गाइड के दिल्ली राज्य संगठन आयुक्त श्री मनीराम गिरी, सुप्रभात मंच के संस्थापक श्री सुरेश पाल वर्मा जसाला,  युवा उत्कर्ष मंच के राष्ट्रीय सचिव श्री ओम प्रकाश शुक्ल और गन्धर्व वेलनेस स्टूडियो की संस्थापक सुश्री ममता वर्मा की भी विशेष उपस्थिति रही। गोष्ठी में श्री सतीश चंद्र (पुणे), श्री सुशील कुमार गोयल (फरीदाबाद), श्री गौतम शर्मा और सुश्री मधु भी सम्मिलित हुए।

‘विचार गोष्ठी’ के अंतर्गत सुश्री गीता भाटिया, सुश्री मिनाक्षी भटनागर और सुश्री वसुधा ‘कनुप्रिया’ ने  ‘हिन्दी — हमारा स्वाभिमान’ विषय पर बोलते हुए  साहित्य में हिन्दी की महती भूमिका, उसके बदलते स्वरुप, हिन्दी का जनमानस में प्रचलन, इसके व्यावहारिक प्रयोग, अंग्रेज़ी के प्रति रुझान, विद्यालयों में हिन्दी शिक्षण आदि पर प्रकाश डाला। तीनों वक्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जनमानस के ह्रदय में हिन्दी के प्रति प्रेम जागृत कर, इसे व्यावहारिक भाषा बना कर ही हिन्दी को गौरव प्रदान किया जा सकता है।

तत्पश्चात, काव्य गोष्ठी में सभी कविगण ने एक से बढ़कर एक पढ़कर आजोयन को गरिमा प्रदान की।

“जब से गुज़र गयी है अम्मा

देह मेरी परदेस हो गयी”

आयोजन अध्यक्ष मुधश्री की इस अत्यंत मार्मिक रचना और नवगीत ‘गाँव का पीपाल’  की सुमुधर प्रस्तुति से सभी भाव-विभोर हो गए।

विशिष्ट अतिथि डॉ. संत ने अपनी लाजवाब हास्य रचनाओं से सभी का भरपूर मनोरंजन किया और हिन्दी को समृद्ध करने के उपाय भी सहज ही कविता के माध्यम से समझाए। डॉ. संत और श्री मणिराम ने सभी कविगण और श्रोताओं को भारत स्काउट और गाइड का स्कार्फ़ पहना का अभिवादन किया। स्काउट्स के कई तरह की ताली ने सभी में अभूतपूर्व जोश भर दिया।

आज़ादी तो पा गये, भाषा रही गुलाम

अंग्रेज़ी में इसलिये, होता सारा काम  — वसुधा ‘कनुप्रिया’ ने अपने काव्य पाठ में स्वतंत्र भारत में हिन्दी की दुर्दशा पर यह दोहा पढ़ा

पर्पल पेन की सक्रिय सदस्य सुश्री मीनाक्षी भटनागर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए ने सभी कविगण और श्रोताओं के प्रति उनकी गरिमामयी उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त किया। गन्धर्व वेलनेस स्टूडियो की ओर से संस्थापक सुश्री ममता वर्मा ने सभी प्रतिभागियों को उपहार स्वरुप एक हज़ार रूपये के ‘गिफ्ट कूपन’ भेंट  किये। सभी ने हिन्दी भाषा के संवर्धन के प्रति समर्पित भाव से और सक्रियता से कार्य करना का प्रण लिया।

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