पहाड़ की पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाओं ने धूमधाम से मनाया हरेला पर्व

महिलाओं ने पारम्परिक हरेला गीत के साथ एक दूसरे को दी पर्व की बधाई

क्राइम रिव्यू
लखनऊ। पहाड़ की पारंपरिक वेशभूषा व रीतिरिवाज के बीच राजधानी में उत्तराखण्ड के महिलाओं द्वारा हरेला पर्व उमंग और उत्साह के साथ मनाया गया। मान्यता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह दिवस को ही उत्तराखण्ड के लोग हरेला पर्व के रूप में मनाया जाता है।
उत्तराखण्ड महापरिषद और देवभूमि सामाजिक सांस्कृतिक समिति, आर्टस एण्ड कल्चरल सोसाइटी एवं स्वदेशी महिला स्वयं सहायता समूह के संयुक्त तत्वावधान में कल्याणपुर में लोक पर्व हरेला मनाया गया। सबसे पहले पंडित आनन्द जोशी द्वारा हरेले की पतेसा गया। पूजा अर्चना की गई। आनन्द पंडित द्वारा सभी को आशीर्वाद स्वरूप हरेला भेंट किया गया। इसके बाद समूह की अध्यक्ष हेमा बिष्ट के निर्देशन में बन्दना पाण्डेय, शोभा रावत, भारती बिष्ट, ललिता बिष्ट, गीता अधिकारी, कमला मेहरा, कामना बिष्ट एवं तारा देवी, हेमा लटवाल, चित्रा बिष्ट,सुष्मिता बिष्ट, मंजू पाण्डेय, शशि जोशी, गीता बिष्ट, बिमला रावत चित्रा बिष्ट,चन्द्रा बिष्ट, बिमला रावत, रेखा गोस्वामी, मधुलिका बिष्ट, गीता अधिकारी आदि समूह की महिलाओं ने ‘जी रया, जागि रया, यो दिन, यो महैण कै नित-नित भ्यटनै रया। हिमालय में हयू झन तक
गंगा में पाणी छन तक, जी रया, जागि रया। ‘समेत अनेक पारम्परिक हरेला गीत गाये। सभी महिलाए उत्तराखण्ड की पारम्परिक पोषाक एवं पिछोडे सहित हरेले के पर्व की बधाई देने एक दूसरे के घरों में भी गयी। हेमा बिष्ट ने बताया कि मान्यता के अनुसार भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह दिवस को ही उत्तराखण्ड के लोग हरेला पर्व के रूप में मनाते है।
सीएम योगी को हरेला भेंट किया
उत्तराखण्ड महापरिषद के शिष्टमंडल द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके आवास पर हरेला भेंट किया गया।
शिष्टमंडल में हरीश चंद पंत अध्यक्ष, दीवान सिंह अधिकारी संयोजक, भरत सिंह बिष्ट महासचिव, चेतन सिंह बिष्ट युवा अध्यक्ष, किशन सिंह बिष्ट सलाहकार, भवान सिंह रावत सलाहकार, जे एन एस परवाल संगठन सचिव शामिल रहे।
10 दिन पहले होती है तैयारी
कल्याणपुर निवासी राधा बिष्ट के निवास पर भी धूमधाम से हरेला पर्व मनाया गया। राधा बिष्ट ने बताया कि श्रावण महीना लगने से 10 दिन पहले एक बर्तन या टोकरी में कुछ मिट्टी भर के सात तरह के अलग अलग बीज (धान, गेहूॅ, उड़द, गहत, सरसो और भट्ट) बो देते है। रोजाना पानी छिड़क कर इसमें पौधे उगने का इन्तेजार किया जाता है। इन पौघों को ही हरेला कहा जाता है और फिर हरेला पर्व के दिन इन पौधों को काटकर भगवान के चरणों में चढ़ा कर पूजा की जाती है व अच्छी फसल की कामना की जाती है। भगवान का आशीर्वाद समझकर कुछ पौधे सिर पर और कान के पीछे रखे जाते है। आज के दिन घर के छोटे, बड़ो का आशीर्वाद लेते है। आज के दिन लोग एक दूसरे को शुभकामनायें देते है।

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