बाल अवस्था में कोई ग्रह  पूर्ण रूप से फल देने में सक्षम नहीं होता

ज्योतिष कक्षा  Part—4, ग्रहों की डिग्री और अवस्था

क्राइम रिव्यू

नमः शिवाय

ज्योतिष कक्षा    Part—4

ग्रहों की डिग्री और  अवस्था :—

बाल अवस्था बाल अवस्था में कोई ग्रह  पूर्ण रूप से फल देने में सक्षम नहीं होता

कुमार अवस्थायह स्थिति बाल अवस्था से कुछ बेहतर होती है किंतु युवावस्था वाले ग्रह से थोड़ी कमजोर होती है।

युवावस्था ग्रहों की युवावस्था बहुत बलवान होती है। इस अवस्था में ग्रह पूर्ण रूप से अपने फल प्रदान करता है।

वृद्धावस्था वृद्धावस्था की स्थिति में ग्रह अपना पूर्ण रूप से फल नहीं दे पाता है।

मृत अवस्था — मृत अवस्था इस स्थिति में ग्रह निर्बल होता है और यह लगभग शून्य ही फल प्रदान करता है।

 

ग्रह कब बली होते हैं और कब कमज़ोर??? यह नीचे दी गई तालिका से हम समझ सकते हैं।

 

विषम राशि में ग्रहों की अवस्था:-

0 से 6 अंश तक बाल अवस्था

6 से 12 अंश तक कुमार अवस्था

12 से 18 अंश तक युवा अवस्था

18 से 24 अंश तक वृद्ध अवस्था

24 से 30 अंश तक मृत अवस्था

 

सम राशि में ग्रहों की अवस्था

0 से 6 अंश तक मृत अवस्था

6 से 12 अंश तक वृद्ध अवस्था

12 से 18 अंश तक युवा अवस्था

18 से 24 अंश तक कुमार अवस्था

24 से 30 अंश तक बाल अवस्था

प्रिय मित्रों आज हम 2 योगों के बारे में जानेंगे

विपरीत राजयोग:—

जब कोई ग्रह 6वे, 8वे एवम 12वे भाव का स्वामी होकर 6वे , 8वे या 12वे भाव में ही बैठ जाए और ग्रह पीड़ित भी हो तो विपरीत राजयोग होता है। ऐसे योग में जब उस ग्रह की दशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा आती है तो व्यक्ति को अच्छे परिणाम मिलते हैं।

उदाहरण कुंडली में मंगल 8वे भाव का स्वामी होकर 12वे भाव में बैठ गया है और मंगल, .. केतु एवम शनि से पाप करतरी में भी है । इसलिए यहां विपरित राजयोग बन रहा है।

नीच भंग राज योग:—

जब कोई ग्रह अपनी नीच राशि में होता है। और उसका स्वामी लग्न से केंद्र में बैठ जाय या उस भाव से केंद्र में बैठ जाय या उस भाव को दृष्ट कर ले तो नीचता भंग हो जाती है और व्यक्ति को उस ग्रह की दशाओं में अच्छे परिणाम मिलते हैं।

उदाहरण कुंडली में सूर्य नीच का है किंतु उस भाव का स्वामी शुक्र केंद्र में बैठा है इस लिए सूर्य की नीचता भंग हो गई और सूर्य अपनी दशाओं में अच्छे परिणाम देगा

इसी उदाहरण कुंडली में हम देखेंगे कि चन्द्रमा भी नीच का है किंतु मंगल जोकि उस भाव का स्वामित्व लिए हुए है वह अपनी चौथी दृष्टि से अपनी राशि को देख रहा है। इस प्रकार चंद्रमा की नीचता भी भंग हो गई।

प्रिय मित्रो,

आज हमने 2 महत्वपूर्ण योग के बारे में जाना । आप सभी लोग अपनी अपनी कुंडलियों पर इसको चेक करें। अगले गुरुवार को हम नए 2— 3 योगों की चर्चा करेंगे।

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