अक्षय तृतीया 14 मई को, परशुराम जयंती भी मनाई जायेगी

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि तृतीया तिथि 14 मई को प्रातः 5ः38 मिनट से प्रारम्भ होकर 15 मई को प्रातः 7ः59 मिनट तक रहेगी

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लखनऊ। वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि , 14 मई को अक्षय तृतीया व्रत- पूजन किया जायेगा। इसी दिन भगवान परशुराम जयन्ती भी मनाई जाती है। इस तिथि में किये गये जप, तप, दान का फल अक्षय होता है, इसीलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। इस तिथि को स्वंय सिद्ध मुहूर्त माना गया है। इस कारण से इस तिथि में शादी- ब्याह खूब होते हैं। लेकिन इस बार कोरोना की वजह से शायद अधिक शादियां न हो।पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त प्रातः 5:38 मिनट से 12: 05 मिनट तक

अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र के ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि
तृतीया तिथि 14 मई को प्रातः 5ः38 मिनट से प्रारम्भ होकर 15 मई को प्रातः 7ः59 मिनट तक रहेगी। 14 मई को अक्षय तृतीया पूजा मुर्हूत प्रातः 5ः38 मिनट से दिन 12ः05 मिनट तक श्रेष्ठ है। भगवान परशुराम जी का अवतार अक्षय तृतीया की तिथि में ही अपरान्ह में हुआ था, इसलिए परशुराम जयन्ती भी 14 मई को ही मनाई जायेगी।

इस तिथि में किया गया दान अक्षय होता है

ज्योतिषाचार्य नागपाल ने बताया कि अक्षय तृतीया में तीर्थो में स्नान, जप, तप, हवन आदि शुभ कार्याे का अनंत फल मिलता है। इस दिन किया गया दान अक्षय यानि की जिसका क्षय न हो माना जाता है। इस दिन जल से भरा कलश, पंखा, छाता, गाय , चरण-पादुका स्वर्ण भूमि आदि का दान सर्वश्रेष्ठ रहता है। मन्दिरों में जल से भरा कलश एवं खरबूजें चढ़ाया जाता है। पुराणों में भी इस दिन का वर्णन है। इस दिन व्यापारी जन अपने खातों की पूजन भी करते है।

अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त है

उन्होंने ने बताया कि अक्षय तृतीया स्वयं सिद्व मुहूर्त अबुझ मुहूर्त है। इसमें विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार आदि सभी कार्य किये जा सकते है। इस दिन परशुराम जयन्ती, त्रेतायुग का प्रारम्भ इसी तिथि को हुआ था। इसे युगादि तिथि भी कहते है। इस दिन भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के नर नारायण, हयग्रीव अवतार इसी दिन हुआ था। भगवान ब्रहमा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था। श्री बद्रीनारायण के पट भी इसी दिन खुलते है और वृन्दावन में श्रीबिहारी जी के चरणों को दर्शन वर्ष में इसी दिन होता है।

ग्रहों की स्थिति अक्षय तृतीया को और भी शुभ बनाएगी

ज्योतिषाचार्य नागपाल ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया पर ग्रहों का ऐसा संयोग बना है जो इस दिन को और भी शुभ व प्रभावशाली बना रहा है। सूर्य इस दिन मेष राशि से वृष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के राशि परिवर्तन से इस दिन वृष राशि में सूर्य बुध के संयोग से बुधादित्य योग बनेगा। इस दिन शुक्र स्वराशि वृष में रहेंगे। इस दिन चंद्रमा उच्च राशि होंगे। अक्षय तृतीया पर चंद्रमा का शुक्र के साथ शुक्रवार को वृष राशि में गोचर करना, धन, समृद्धि और निवेश के लिए बहुत ही शुभफलदायी है। अक्षय तृतीया पर चंद्रमा संध्या काल में मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। मिथुन राशि में इस समय मंगल का संचार हो रहा है। ऐसे में चंद्रमा के मिथुन राशि में आने से यहां धन योग का निर्माण होगा।

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