किडनी (गुर्दे) फेलियर का होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से सफल इलाज संभव : डाॅ प्रदीप राय 

क्राइम रिव्यू
लखनऊ। किडनी (गुर्दे) हमारे शरीर का बहुत ही जरूरी अंग होता है,किडनी  एसिड, यूरिया, किएटिनिन जैसे नाईट्रोजनयुक्त विषैले तत्वों से ब्लड को फिल्टर करने की जिम्मेदारी होती है, ये सभी विषैले तत्व हमारे ब्लैडर में जाते हैं और पेशाब करते समय बाहर निकल जाते हैं, अर्थात किडनी का काम शरीर में कैमिकल फ्री और हैल्द ब्लड की सप्लाई को,  बैलेंस करना है, किन्तु ग्लोमेरूलर डिजीज के कारण किडनी फिल्टर फैल जाती है ,जिसके कारण किडनी फिल्टर नहीं कर पाती है, और धीरे- धीरे ये किडनी फेलियर की ओर बढ़ने लगती है। समय रहते ईसका ध्यान रखा जाय तो किडनी फेलियर से बचा जा सकता है।
भारत में किडनी फेलियर के मामले, बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे हैं ,20 प्रतिशत बच्चे भी ईससे प्रभावित हैं ,यह बेहद चिंता का विषय है।आमतौर पर मनुष्य के शरीर में दो किडनी होती हैं पर चिकित्सीय अध्यन में यह देखा गया है ,कि अगर किसी की किडनी खराब होती है तो एक साथ दोनों किडनीयों पर प्रभाव पड़ता है,और दोनों एक साथ ही खराब हो जाती हैं क्योंकि इस ग्लोमेरूलर डिजीज  का कारण लगभग एक ही होता है, एक किडनी तभी खराब होती है,जब किसी एक किडनी में कोई बाहरी चोट लगी हो या अन्य किसी दुर्घटनावश किडनी चोटिल हो गई हो,या पैदायशी कोई अन्य किडनी की समस्या रही हो।
किडनी फेलियर के कारण:-
किडनी फेलियर होने के कुछ प्रमुख कारणों पर विचार किया जाय तो पता चलता है कि अत्याधिक प्रोटीनयुक्त एवं फास्ट फूड खाद्य पदार्थों का सेवन,  पानी कम पीना, ज्यादा देर तक पेशाब रोके रखना, तम्बाक एवं अन्य धूम्रपान का सेवन करना, लम्बे समय से ऊच्च रक्तचाप रहना,  मधुमेह रोग होना, नमक का ज्यादा  सेवन करना ईत्यादि है।
वर्तमान समय में बहुतायत यह देखा जा रहा है,कि लम्बे समय से जो लोग अंग्रेजी दवाईयों,जैसे पेन किलर ( दर्द निवारक दवाईयां),मेलेरियल ग्रुप की दवाईयों का सेवन कर रहे हैं उनकी भी किडनी खराब हो रही है, ईससे बचने की जरूरत है।
किडनी फेलियर के प्रमुख लक्षण :-
चेहरे, और पैर में सूजन आना, अधिक कमज़री महसूस होना पेशाब कम होना, पेशाब में एलब्यूमिन आना,  पेशाब में ब्लड आना( हीमेच्योरिया),जलन व दर्द होना, किडनी वाली जगह पर लगातार दर्द बना रहना, किडनी में बार बार पथरी बनना,  ब्लड में क्रिएटनाईन बढ़  जाना, लगातार ऊच्च रक्तचाप ( हाई ब्लडप्रेशर)बना रहना, लगातार कब्जियत बना रहना, मिचली आना, शरीर में ब्लड ( हीमोग्लोबिन)की कमी हो जाना, कभी-कभी  जलोदर (पेट की दीवार में पानी भर जाना), के साथ भूख  न लगना।
किडनी फेलियर का होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से निवारण
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को लक्षणों पर आधारित चिकित्सा पद्धति कहा जाता है, पेशाब संबंधित एवं पेशाब के साथ अन्य  कोई भी शारीरिक समस्या होने पर, अगर समय से इसका  होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से इलाज किया जाय तो किडनी फेलियर जैसी गम्भीर समस्या से बचा  जा सकता है,समय रहते अगर होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से इलाज प्रारंभ कर दिया जाए तो डायलिसिस की कोई आवश्यकता नहीं पड़गी ,  और किडनी फेलियर का मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
लक्षणों के आधार पर कुछ निम्नलिखित दवाईयां जा सकती हैं-,अलसीरम,एपिसोड मेल, आर्जेनटिकम  नाईट,आरनिका मान्य,एपोसाईनम, बरबेरिस वलस, कैन्थरिस,फार्म फास्ट, युवा वर्दी,सालीडेगो, नक्स वोम,थूजा, टेरिबिन्थ, ग्लोनास, ईत्यादि लक्षणो के आधार पर  होम्योपैथिक चिकित्सकों के सलाह पर  दी जा सकती हैं।
किडनी संबंधित बीमारी एवं कितनी फेलियर मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण सलाह / सुझाव
अत्याधिक मानसिक तनाव से बचें ,ईसके लिए ध्यान की विधियों का सहारा ले सकते हैं, और खट्टे फलों जैसे संतरा ,मौसमी, चकोतरा, नींबू ईत्यादि का सेवन कम से कम सप्ताह में दो बार अवश्य करें।जिनको मधुमेह रोग नहीं वे खट्टे फलों का जूस भी पी सकते हैं। कैल्शियम आक्सीलेट,  प्रोटिनयुक्त, यूरिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बहुत कम कर देना चाहिए। दिनचर्या नियमित होना चाहिए। एक चिकित्सीय अनुसंधान के अनुसार प्रातःकाल (ब्रह्ममुहूर्त,  लगभग 4.00),हमारे शरीर की शारीरिक क्रिया बदल जाती है, शरीर के सभी अंग भी अपनी गति बदल देते हैं ,इसलिए हमें भी बदल जाना चहिए, अर्थात हम सोये हैं तो जाग जाना चाहिए,  जागने की अधिकतम समय सीमा सूर्योदय से पूर्व है।
                 डाॅ प्रदीप राय 
                होम्योपैथिक फिजीशियन 
               जानकी प्लाजा, जानकीपुरम 
               लखनऊ।
               मोबाइल 9453839377

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