किशन लाल शाह ने एकल काव्य पाठ से पर्यावरण संरक्षण पर दिया बल 

उदीयमान रचनाकार संघ के तत्वावधान में विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व सन्ध्या पर ऑनलाइन एकल काव्य पाठ का आयोजन

क्राइम रिव्यू

लखनऊ। उदीयमान रचनाकार संघ के तत्वावधान में विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व सन्ध्या पर आज ऑनलाइन आयोजित एकल काव्य पाठ में किशन लाल शाह ने अपनी कविताओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण पर बल दिया।

युवा रचनाकार किशन लाल शाह ने ऑनलाइन ‘ तेज धूप की तपन से, व्याकुल हुआ, कहीं मर ना जाऊं,

दिन में अरमा लिए ढेर से…’ से अपने एकल का पाठ की शुरुआत कर नन्हें बीज की अभिलाषा को अभिव्यक्त किया। इसी क्रम में उन्होंने बीज के अंदर उपज रहे तमाम तरह की मनोदशा को कुछ इस तरह अपनी कविता में प्रस्तुत किया ‘मैं सोचता हूं…बीज नन्हा सा मैं, दूर खेतों से हूं भला कौन? मुझ पर रहम कर, मुझे सींच, मेरे अस्तित्व को जगाएगा, अकेले इस बीज की महत्ता, दुनिया को बताएगा, मैं सोचता हूं…।किशन ने अगले सोपान में बीज के अंतर्मन की व्यथा को कुछ इस तरह बयां किया ‘संजोए हुए स्वपन  को साकार कैसे करूं मैं, बीज से पौधा, पौधे से वटवृक्ष कैसे बनूं, मैं सोचता हूं…।

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