कोरोना संक्रमण पर अखिलेश ने भाजपा को घेरा, बोले-आंकड़ों को छिपाकर अपनी वाहवाही लूट रही यूपी सरकार

संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की जयंती पर सपा 'बाबा साहेब वाहिनी' का करेगी गठन

क्राइम रिव्यू

लखनऊ।  समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि 14 अप्रैल को संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की जयंती के मौके पर पार्टी ‘बाबा साहेब वाहिनी’ का गठन करेगी। यादव ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा, संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों को सक्रिय कर असमानता-अन्‍याय को दूर करने तथा सामाजिक न्‍याय के समतामूलक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, हम उनकी जयंती पर जिला, प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्‍तर पर सपा की ‘बाबा साहेब वाहिनी’ के गठन का संकल्प लेते हैं। इसके दो दिन पहले यादव ने कहा था, भाजपा के राजनीतिक अमावस्या के काल में वह संविधान खतरे में है, जिससे बाबा साहेब ने स्‍वतंत्र भारत को नई रोशनी दी थी। इसलिए बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) को सपा उत्तर प्रदेश, देश और विदेश में ‘दलित दीवाली’ मनाने का आह्वान करती है।

सपा मुख्यालय में शनिवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में जब यादव से ‘दलित दीवाली’ के नाम को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नाम में क्या रखा है, नाम तो कोई भी हो सकता है, आंबेडकर दीवाली, संविधान दीवाली, समता दिवस-नाम कुछ भी रखा जा सकता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि डॉ राम मनोहर लोहिया और बाबा साहेब ने मिलकर काम करने का संकल्प लिया था और अगर सपा आंबेडकर के अनुयायियों को गले लगा रही है तो भाजपा और कांग्रेस को तकलीफ क्या है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कोरोना महामारी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा, प्रदेश में आज न जाने कितने लोग तकलीफ और परेशानी में हैं। रात से लेकर सुबह तक लगातार लोग परेशानी में हैं और जो जानकारी मिल रही है कि वैश्विक महामारी ने एक बार फ‍िर हम सबको घेर लिया है और ऐसे चक्रव्यूह में फंसा दिया है कि जिससे बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया, उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में दवाइयां नहीं है, अस्पतालों में भर्ती नहीं हो सकते, जो बहुत जरूरत की दवाई है वह पर्याप्त नहीं है, कोरोना की जांच नहीं हो पा रही हैं और जो जांच हो रही हैं तो जिस समय उनकी रिपोर्ट आनी चाहिए उसमें भी देरी हो रही है। टीका लगाने के बाद भी लोग इस बीमारी से बीमार हो रहे हैं। उन्होंने सवाल किया, अगर लखनऊ के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों के लोग भी ऐसी बीमारी से तकलीफ में चले जाएंगे तो आखिर आम जनता का उपचार कौन करेगा।

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