छह हजार मासिक गुजरा भत्ता देना न्यायोचित
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सीआर.पी.सी की धारा 125 के तहत मिलने वाली अन्तरिम भरण पोषण की राशि का समायोजन हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत मिलने वाले भरण पोषण में करने से किया इनकार
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सीआर.पी.सी की धारा 125 के तहत मिलने वाली अन्तरिम भरण पोषण की राशि का समायोजन हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत मिलने वाले भरण पोषण में करने से इनकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति रवि नाथ तिलहरी की बेंच ने विशाल प्रजापति की अपील को खारिज करते हुए दिया।
अपीलकर्ता विशाल प्रजापति जिम चलाता है। पत्नी से घरेलू विवाद के बाद दोनो अलग अलग रह रहे है। रिस्पॉन्डेंट मोनिका प्रजापति ने सीआरपीसी 125 और हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 में भरण पोषण देने के लिए मांग की थी। जिस पर निचली अदालत ने सीआरपीसी 125 में 1500 रुपये मोनिका के लिए और 1000 रुपये दोनो बच्चो के लिए देने का आदेश दिया।
अपीलकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय से सीआरपीसी की धारा 125 के अंतर्गत दिए जाने वाले गुजारा भत्ता और हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 में आदेशित गुजारे भत्ते को समायोजित करने का निवेदन किया। उनका तर्क था कि प्रतिवादी और उसकी दो नाबालिग पुत्रियों को अपीलकर्ता सीआरपीसी की धारा 125 के अंतर्गत अंतरिम भरण-पोषण का भुगतान कर रहा था, किन्तु प्रतिवादी ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत याचिका में इस बात का खुलासा नही किया।अपीलकर्ता दोनों धाराओं के अंतर्गत दिए जाने वाले भुगतान को करने में असमर्थ है।
वही प्रतिवादी के अधिवक्ता सक्षम अग्रवाल का तर्क था कि अपीलकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मिलने वाली राशि का भुगतान आज तक नही किया। भुगतान में जो राशि दी जा रही है वो प्रतिवादी व उसकी दो नाबालिग पुत्रियों के भरण पोषण के लिए पर्याप्त नही है। अपलिकर्ता की मासिक आय पर्याप्त है। अपीलकर्ता ने इस समयोजन के मुद्दे को परिवारिक न्यायालय के अंतर्गत होने वाली हिन्दू विवाह अधिनियम धारा 24 की सुनवाई में नही उठाया। प्रतिवादी के अधिवक्ता ने न्यायालय से इस समायोजन को ठुकराने की मांग उठाई थी। न्यायालय ने आज के समय में 6000 रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश को न्यायायोचित माना और अपील खारिज कर दी।