पुश्तैनी काम को ओडीओपी ने दी उड़ान

वाराणसी के बुनकर सुनील द्वारा कबीर के दोहे से गढ़ी वॉल हैंगिग

-वाराणसी के बुनकर सुनील द्वारा कबीर के दोहे से गढ़ी वॉल हैंगिग लोगों को कर रही आकर्षित
– 3 नेशनल और 5 स्टेट अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके सुनील
विवेक पाण्डेय, लखनऊ
लखनऊ: वाराणसी से सिल्क के प्रॉजेक्ट को लेकर इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में चल रही ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में आए बुनकर सुनील कुमार व उनका परिवार कवि कबीरदास से प्रेरित है। सुनील बताते हैं कि उनका यह पुश्तैनी काम है। इस काम की सुरुआत पिता प्यारेलाल ने बचपन मे की थी। उसके बाद वह अपनी बहन ललिता देवी के साथ मिलकर पिता के काम को आगे बढ़ाया। पहले वह साड़ियां सूट आदि तैयार कर स्थानीय बाजारों में बेचा करते थे, जिससे जैसे तैसे घर चलता था। करीब चार साल पहले उनके प्रॉडक्ट को सरकार की योजना ओडीओपी से जोड़ा गया। इसको लेकर उसकी कुशल बुनकरों द्वारा ट्रेनिंग कराई गई। अब उसके प्रॉडक्ट को एक नई उड़ान मिली है। अब वह लखनऊ, कोलकाता और दिल्ली सहित कई शहरों में अपने उत्पादों की बिक्री करता है। इससे अब उसके घर की स्थितियां बहुत बेहतर हो चुकी हैं।
कबीर से मिली प्रेरणा, दोहे से गढ़ी साड़ी और दुपट्टा
बचपन से ही बुनकरी करने वाले सुनील वाराणसी के चोलापुर ब्लॉक के बबियांव गांव के रहने वाले हैं। सुनील बताते हैं कि कबीर खुद एक बुनकर थे, इसलिए हमें उनसे प्रेरणा मिली। जिसके बाद उन्होंने कबीर की झोपड़ी के लिए वॉल हैंगिग तैयार की जो  इस समय उनकी हाईटेक झोपड़ी में लगी भी है। इस वॉल हैंगिग में 50 से अधिक दोहे गढ़े गए हैं। इसके अलावा मगहर में बने शोरूम में लगाने के लिए उसने एक साड़ी भी तैयार की है, जिसमे 150 से अधिक दोहे हैं, जो काफी आकर्षित करने वाली है।
गांधी की जीवनी गमछे पर
सुनील कुमार के हाथों के हुनर का हर कोई कायल दिखा। प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा भीड़ सुनील के स्टॉल पर दिखी। सुनील ने महात्मा गांधी के 150 वीं जयंती पर एक एक गमछे को तैयार किया है। जिस पर उनकी पूरी जीवन गाथा है। इतना ही नहीं भारतीय करंसी के इतिहास को भी लिखा गया है। साथ ही प्रधानमंत्री का नारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ मुफ्त राशन वितरण और कोविड-19 के बचाव के मुलमंत्रों को अपने हुनर से कपड़े पर उकेरा है।
इन स्टालों ने लोगों को किया आकर्षित
सामान्य लोगों के लिए शनिवार और रविवार को प्रदर्शनी खोली गई है। पहले दिन शनिवार को चित्रकूट के लकड़ी के खिलौने, काशी विश्वनाथ और कानपुर के कई मंदिरों के फूलों से बनी सुगंधित अगरबत्ती, धूप बत्ती सहित अन्य प्रॉडक्ट, मैनपुरी की तारकसी हैंडीक्राफ्ट आदि स्टॉल लोगों को आकर्षित कर रहे हैं।
आज भीड़ बढ़ने की उम्मीद
स्टालों पर शनिवार को लोगों की आवाजाही काफी कम रही। इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि सरकार का पूरा ध्यान शुक्रवार को प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर रहा। दो दीन की प्रदर्शनी आम लोगों के लिए भी है। इसका समुचित प्रचार-प्रसार नहीं कराया जा सका है। जिसकी वजह से भीड़ कम है। हालांकि उम्मीद है कि रविवार को छुट्टी होने के चलते भीड़ बढ़ सकती है।
लखनऊ चिकनकारी सहित 24 स्टॉल खाली
प्रदर्शनी में देखने को आया कि शनिवार को लखनऊ चिकनकारी सहित बुलंदशहर के सेरेमिक उत्पाद, गाजियाबाद के इंजिनियरिंग गुड्स, कानपुर नगर के लेदर प्रॉडक्ट, गौतमबुद्ध नगर के रेडीमेड गारमेंट्स, अलीगढ़ के ताले, आगरा के लेदर प्रॉडक्ट, अयोध्या का गौरा स्टोन मेटल क्रॉफ्ट आदि के स्टॉल खाली हो गए हैं।

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