प्रसिद्ध लोकगायिका कुसुम वर्मा के लोकगीतों पर झूमे लोग

चौराचौरी शताब्दी समारोह एवं आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा संस्कृति विभाग ऑनलाइन सांस्कृतिक कार्यक्रम "लोकरंग" का आयोजन

क्राइम रिव्यू
लखनऊ। प्रसिद्ध लोकगायिका कुसुम वर्मा ने गुरुवार को अपनी खनकती आवाज से माहौल में मिठास घोल दी। मौका था। चौराचौरी शताब्दी समारोह एवं आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित संस्कृति विभाग ऑनलाइन सांस्कृतिक कार्यक्रम “लोकरंग” का। कुसुम ने अपनी शानदार आवाज और अंदाज से गीत गाकर खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने अपने गानों से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
अवधी लोकगीत गायिका कुसुम वर्मा ने अपनी प्रस्तुति का शुभारम्भ गणपति गजानत गणनायक गणेश वन्दना कर किया। फिर कजरी- अरे रामा मिस पडत कहार, वर्षा गीत – छन छन गरने बदरिया कि चमचम चमके बिजुरिया, महहर से भड्‌या हमरे अइहै और कजरी – मध्या मोरे अइहे अन्वहइया सावन वा गाकर माहौल को सावन मय कर दिया।
वही अवधी लोकगीत गायिका प्रीती लाल ने देवी गीत गाकर देवी माँ के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इसके बाद उन्होंने अरे रामा गोकुल का रहने वाला, झूला झूले कदम्ब की डाल, अबकी सावन सैंया आगीत गाकर मन मोह लिया। इसी क्रम में भोजपुरी गायक राकेश उपाध्याय ने गोरखपुर से जुड़कर कर शारदा वन्दना हाथ जोड़ तोहि के मनाई, गोरखपुर गोरदा भूमि र काशी शिव की नगरी गाकर जन मन को भक्तिमय कर दिया। तत्पश्चात जिनगी जुड़ाये जहाँ पलकन की छाँव में, गोरी झूलि गई झुलुआ हजार सावन की बहार, कारी, सुन्दर सुभूति भईया भारत के देशभक्ति गीत गाकर अपनी प्रस्तुति को विराम दिया।

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