मानसिक बीमारी प्रत्यक्ष नहीं दिखाई देती जिसके कारण लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते : प्रो. मधुरिमा प्रधान
लविवि की पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ, समाज कार्य विभाग और परामर्श एवं मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के द्वारा ऑनलाइन माध्यम से "मादक द्रव्यों का सेवन और मानसिक स्वच्छता" विषय पर इंटरफेस कार्यक्रम का आयोजन
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। लविवि की पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ, समाज कार्य विभाग और परामर्श एवं मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के द्वारा ऑनलाइन माध्यम से “मादक द्रव्यों का सेवन और मानसिक स्वच्छता” विषय पर इंटरफेस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विशेषज्ञों के तौर पर संबल नशा मुक्ति केंद्र एवं मनोरोग अस्पताल के डायरेक्टर एवं नेशनल पी जी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. पी.के. खत्री एवं नवयुग कन्या महाविद्यालय, लखनऊ की प्रधानाचार्या डॉ. श्रृष्टि श्रीवास्तव मौजूद रहीं।इस इंटरफेस कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम की शिक्षक समन्वयक एवं समाज कार्य विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ. गरिमा सिंह के द्वारा स्वागत वचन कह कर किया गया। तत्पश्चात परामर्श और मार्गदर्शन प्रकोष्ठ की डायरेक्टर प्रो. मधुरिमा प्रधान ने अपनी बात को रखते हुए मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शारीरिक रोगों को गंभीरता से लेने वाले हम इंसानों का ध्यान मानसिक रोगों की ओर कम ही जाता है। जीवन की समस्याओं से हताश होकर हमारे अपने ही कई जानने वाले मानसिक तौर पर किन समस्याओं से जूझ रहे हैं हमें इसकी भनक तक नहीं लगती। इसका मुख्य कारण है कि मानसिक बीमारी प्रत्यक्ष नहीं दिखाई देती जिसके कारण उसको लोग इतनी गंभीरता से भी नहीं लेते हैं। कार्यक्रम में विशेषज्ञ डॉ. श्रृष्टि श्रीवास्तव ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से न लेना, कई कारणों में से एक कारण है कि भारत हैप्पीनेस इंडेक्स में एक निराशाजनक पायदान पर है।
कार्यक्रम में डॉ. पीके खत्री ने कुछ केस को छात्रों के साथ साझा करते हुए बताया कि मादक द्रव्यों के सेवन के परिणाम कितने भयावह हो सकते हैं, उन्होंने बताया कि मादक द्रव्यों का सेवन क्षणिक सुख प्रदान करके स्थाई नकारात्मकता की ओर ढकेलता है। कार्यक्रम में जब छात्र छात्राओं ने अपने प्रश्न पूछे तो उनका उत्तर विशेषज्ञों ने बेहतरीन ढंग से दिय। कार्यक्रम में पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के युवाओं के प्रति विचारों को बताया गया। सभी का मानना था कि युवा ही है जो समाज में परिवर्तन का महत्वपूर्ण कारक है।
कार्यक्रम में लविवि के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनूप कुमार भारतीय, परामर्श एवं मार्गदर्शन प्रकोष्ठ की डायरेक्टर प्रो. मधुरिमा प्रधान एवं विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में छात्र मौजूद रहे।
कार्यक्रम के अंत में लविवि की पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के डायरेक्टर एवं समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनूप कुमार भारतीय ने अपने विचारों को रखा। कार्यक्रम में छात्र समन्वयक के तौर पर कु. दिव्या अरोड़ा मौजूद रहीं एवं कार्यक्रम का अंत सर्वज्ञ अस्थाना के धन्यवाद वक्तव्य के साथ किया गया।