यूपी की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से कोरोना से लड़ने का आयुर्वेदिक तरीका बता रहा आयुष विभाग
आयुष विभाग ने आयुष कवच एप पर जोड़ा नया फीचर, लोगों का आ रहा पसंद। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति व वहां की प्राकृतिक सम्पदा से बता रहे इलाज के तरीके
क्राइम रिव्यू
लखनऊ। प्रदेश के आयुष विभाग ने कोरोना संक्रमण रोकने का नया फार्मूला तैयार किया है। आयुष विभाग प्रदेश की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से वहां रहने वाले लोगों को वहां की प्राकृतिक सम्पदा के हिसाब से उपचार बताएगा। मसलन पश्चिम उत्तर प्रदेश में यूकेलिप्टस अधिक पैदा होता है तो बुंदेलखंड में महुआ के फूल, इसमें और कौन सी जड़ी बूटियां मिला कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। इस नये फीचर को आयुष विभाग ने अपनी आयुष कवच एप पर जोड़ा है। जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए शुरू की गई यह मुहिम काफी कामयाब भी साबित हो रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आयुष कवच एप लांच की थी, जो आज कोरोना संक्रमण के दौरान वरदान साबित हो रही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि आयुर्वेद और भारत की प्राचीन परम्पराओं में इस प्रकार के किसी भी वायरस से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने से जुड़े तमाम तथ्य उपलब्ध हैं। आयुष कवच एप प्राकृतिक संसाधनों से इम्यूनिट को बढ़ाने के बारे में अपडेट देगा। लोग इस एप का इस्तेमाल करके संक्रमण को हरा पाएंगे।
लोगों की पसंद बना आयुष विभाग का नया प्रयोग
पूर्वी उत्तर प्रदेश
आयुष विभाग के डॉक्टर अशोक बताते हैं कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से वहां चावल की मांड अधिक उत्पन्न होती है, जोकि बहुत बलवर्धक होती है। चावल को आठ गुना पानी में डाल कर उबाले, उसमें भूना जीरा व सैन्धव मिला कर सेवन करें। इसे प्रतिरोध क्षमता बढ़ेगी। इसी तरह यहां पालक, चौलाई व लोबिया अधिक होता है। बथुआ, चौलाई, पालक व लोबिया का हींग के साथ सेवन करें।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से यहां यूकेलिप्टस पत्र अधिक होता है, जो श्वास-कास नाशक होता है। इसकी पत्तियों को पानी में डाल कर उबाले और दिन में दो बार भांप लें। इसके अलावा यहां ज्वारांकुश (हरी चाय) पाई जाती है। इसकी दो से तीन पत्तियां चार कप पानी में उबले जब एक कप बचे तो निकाल कर उसका सेवन करें। साथ ही यहां मठठा भी अधिक बनाया जाता है। उसके सेवन से भी फायदा होगा।
बुंदेलखंड
यहां महुआ का फूल अधिक पाया जाता है, जो बलवर्धक एवं पोषक होता है। 20 से 30 महुआ के फूलों को पानी व दूध में उबाल कर उसका सेवन करें। इसके अलावा इस क्षेत्र में सत्तू भी अधिक पाया जाता है। जौ व चना के सत्तू का नमक व गुड़ के साथ सेवना करें। इसके अलावा पेठा को भी घी में भूनकर सेवन करने से प्रतिरोध क्षमता बढ़ेगी।
मध्य उत्तर प्रदेश
यहां पर मेथी एवं खुरासानी अजवायन अधिक पाई जाती है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक एवं शूलहर है। मेथी व अजवाइन के बीज को पीस कर गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार लें। हल्दी एंटी एलर्जिक होती है, इसके चूर्ण को घी में भून कर आधा चम्मच दिन में दो बार गुनगुने पानी से सेवन करें। कच्चा आम पाचक शक्ति व शरीर में पानी की कमी को दूर करता है। इसे उबाल कर पानी में मसल लें। उसमें पुदीना, काला नमक, भूना जीरा मिलाकर पीयें