लखनऊ : लापता बेटे की खोज में जमीन-आसमान एक कर रहा था परिवार, पांच दिन से मर्च्युरी में सड़ रही थी लाश

मडियांव व जानकीपुरम पुलिस की लापरवाही उजागर, प्रेमिका व उसकी बुआ की प्रताड़ना व शोषण से तंग आकर युवक ने ट्रेन के आगे कूद कर दी थी जान

क्राइम रिव्यू
​​​​​लखनऊ। लखनऊ कमिश्नरेट की पुलिस कितनी संवेदनहीन हो सकती है, इस बात का अंदाजा मडियांव व जानकीपुरम थाने की पुलिस की गैर जिम्मेदाराना हरकत से लगाया जा सकता है। इन पुलिस कर्मियों की अनदेखी कहें या फिर लापरवाही बात, लेकिन इनकी गलती की वजह से मडियांव थाना क्षेत्र के मोहिबुल्लापुर निवासी 25 वर्षीय युवक का शव पांच दिन तक मर्च्युरी में सड़ता रहा। उसके अपनों को अंतिम बार मुंह देखने का भी मौका नहीं मिला। हालांकि यह सब कुछ संभव था, लेकिन पुलिस ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।
 
मृतक की जेब से बरामद हुआ था कथित प्रेमिका के मोबाइल नंबर लिखी पर्ची

घटना बीते 20 सितम्बर के देरशाम की है। जानकीपुरम थाना क्षेत्र के भटौली रेलवे क्रॉसिंग के पास ट्रैक पर एक युवक का शव पड़ा मिला था। प्रत्यदर्शियों के मुताबिक शव को लेकर मडियांव व जानकीपुरम थाना क्षेत्र के पुलिस कर्मियों में विवाद भी हुआ। बाद में जानकीपुरम पुलिस ने शव का पंचनामा भरा और उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृतक युवक की जेब से किसी प्रकार की कोई भी ऐसी चीज बरामद नहीं हुई थी, जिससे उसकी पहचान हो सके। हालांकि मृतक के पास से एक पर्ची मिली थी जिसमे एक मोबाइल नम्बर लिखा था। पोस्टमार्टम के बाद शव को मर्च्युरी में रख दिया गया था।

 

पांच दिन बाद जानकीपुरम पुलिस ने पीडित परिवार को दी सूचना
इंदलगंज, मोहिबुल्लापुर निवासी सन्तोष शुक्ला ने बताया कि 24 सितम्बर को अपरान्ह करीब तीन बजे जानकीपुरम थाने के दरोगा प्रवीण कुमार ने उन्हें फोन करके बेटे असीम शंकर शुक्ला उर्फ हर्षित के बारे में पूछा और उन्हें थाने बुलाया। सन्तोष ने बताया कि थाने जाने पर उन्हें बेटे के द्वारा खुदकुशी करने की जानकारी हुई। दरोगा ने बेटे के जेब से पर्ची मिलने और उसी से मृतक की पहचान होने की बात बताई। अब यहाँ सवाल यह उठता है कि क्या जानकीपुरम पुलिस ने मृतक की पहचान करने के लिए पर्ची में लिखे नम्बर पर सम्पर्क नहीं किया ? अगर पुलिस ने नम्बर पर सम्पर्क किया तो मृतक के परिवारीजनों को सूचना देने में पांच दिन कैसे लग गए ? पिता सन्तोष शुक्ला का आरोप है कि मामला प्रेम प्रसंग का होने के कारण जानकीपुरम पुलिस ने उनपर आगे की कार्यवाही न करने का भी दबाव बनाया।
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21 सितम्बर को मृतक के पिता ने लिखाई थी गुमशुदगी
 
इंदलगंज, मोहिबुल्लापुर निवासी सन्तोष कुमार शुक्ला ने बताया कि इटौंजा में अभय ऑटो सेल्स के नाम से उनका बाइक का शोरूम है। उनका बेटा असीम शंकर शुक्ला उर्फ हर्षित उनके साथ ही शोरूम में काम करता था। 20 सितम्बर को शाम करीब 8:45 बजे वह रोजाना की तरह दूध लेने घर से निकला था। काफी देर तक वापस नहीं आने पर उसकी तलाश शुरू की। रात भर दोस्तो, परिचितों व रिश्तेदारों से सम्पर्क किया। कोई भी जानकारी नहीं मिलने पर 21 सितम्बर को बेटे की गुमशुदगी का प्रार्थना पत्र दिया। 22 सितम्बर को गुमशुदगी दर्ज हुई। अब यहाँ मडियांव पुलिस पर सवाल उठता है कि जब युवक के सुसाइड पर वह भी मौके पर गई थी और आगे की कार्रवाई को लेकर उसका सीमा विवाद भी जानकीपुरम पुलिस के साथ हुआ था तो मडियांव पुलिस ने पीड़ित परिवार से मृतक की पहचान करवाने का प्रयास क्यों नहीं किया ? आगर मडियांव पुलिस ने संवेदनशीलता दिखाई होती तो शव पांच दिन तक लावारिश मर्च्युरी में नहीं रहती। 
 
युवती व उसकी बुआ के खिलाफ मडियांव थाने में दी तहरीर
मृतक के पिता सन्तोष ने सीतापुर निवासी एक युवती और इंदिरानगर निवासी युवती की बुआ के खिलाफ मडियांव थाने में तहरीर दी है। जिसमें उन्होंने दोनों पर बेटे की हत्या का आरोप लगाया है। तहरीर में कहा गया है कि युवती व उसकी बुआ मिलकर उनके बेटे हर्षित का आर्थिक व मानसिक शोषण कर रही थी।  सन्तोष ने बताया कि बेटे के मोबाइल में युवती के व्हाट्सएप चैट व कॉल रिकार्डिंग मौजूद है।
वर्जन
अगर मृतक युवक के पास से कोई मोबाइल नम्बर लिखी पर्ची मिली थी, तो इसकी जांच की जाएगी कि आखिर यह लापरवाही क्यों हुई है। पीड़ित के मडियांव थाने पर दी गई तहरीर पर जांच करके आरोपियो के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
      प्राची सिंह, एडीसीपी उत्तरी

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