सरकार ने सोशल मीडिया साइट्स से कहा, 24 घंटे में आपत्तिजनक सामग्री हटाएं

क्राइम रिव्यू

लखनऊ। केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सोशल मीडिया साइट्स रेगुलेशन के संदर्भ में अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत में हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का स्वागत है लेकिन इसमें दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए। जिस तरह सोशल मीडिया साइट्स का गलत इस्तेमाल करके अमेरिका के कैपिटल हिल पर हमला होता है, ठीक उसी प्रकार से घटना के तुरंत बाद ही सोशल मीडिया पर लगाम लगाते हुए पुलिस कार्रवाई का समर्थन भी करता है लेकिन अगर लाल किले पर आक्रामक हमला होता है, तो आपके पास दोहरे मानक हैं। यह स्पष्ट रूप से स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों में उपयोगकर्ताओं के स्वैच्छिक सत्यापन तंत्र के लिए एक नियम होना ही चाहिए। रविशंकर ने बताया कि यह भारत की संप्रभुता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ संबंध आदि के परिप्रेक्ष्य में भी होना चाहिए।


सोशल मीडिया पलेटफॉर्म्स पर आपत्तिजनक और गैर कानूनी पोस्ट को लेकर केंद्र सरकार ने आईटी एक्ट में संशोधन करते हुए नए नियमों के तहत अब सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार या कोर्ट से आदेश मिलने के 36 घंटे के भीतर गैर कानूनी पोस्ट हटाने होंगे। पहले यह समय सीमा 72 घंटे की थी। सरकार इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए नए ​नियमों के तहत 50 लाख से ज्यादा यूजर्स वाली कंपनी को भारत में भी अपना ऑफिस खोलना अनिवार्य किया जा सकता है। साथ ही, इन कंपनियों को एक नोडल अधिकारी भी अपॉइंट करना होगा, ताकि कानून लागू करने वाली एजेंसियां जरूरत के मुताबिक इनसे संपर्क कर सकें।

इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंटरमीडियरीज गाइडलाइन्स रूल्स, 2011 के तहत सरकार सोशल मीडिया कंपनियों को गैर कानूनी कंटेंट अपने प्लेटफॉर्म से हटाने के लिए उत्तरदायी बनाना चाहती है। आईटी एक्ट के सेक्शन 79 में इंटरमीडियरीज के लिए ऐसा प्रावधान है। बता दें कि नोटिफाई किए जाने के बाद इन संशोधनों को लागू कर दिया जाएगा। इसके बाद अगर किसी सोशल मीडिया कंपनी को कोर्ट या सरकार से आदेश मिलता है तो उन्हें 36 घंटे के अंदर पोस्ट हटाने होंगे।

सोशल मीडिया रेग्युलेशन से संबंधित नियमों में बदलाव के बाद सोशल मीडिया कंपनियां अपने यूजर्स को समय-समय पर नियम के मुताबिक काम करने के बारे में जानकारी देने के लिए बाध्य होंगी। ये कंपिनयों को यूजर्स से प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर सहमत होने के लिए भी कहना होगा। इन्हें आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के लिए ऑटोमेटेड टूल्स का इस्तेमाल करना होगा, ताकि जल्द कंटेंट हटाया जा सके और यूजर्स तक उनकी रीच कम की जा सके।

जानकारी के मुताबिक, नए नियमों के तहत सरकार सोशल मीडिया कंपनियों से गैर कानूनी कंटेंट के सोर्स के बारे में भी जानकारी मांग सकती है, ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। फिलहाल, वॉट्सऐप जैसी कंपनियां इस तरह की जानकारी देने से इनकार करती रही हैं। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी 36 घंटे के अंदर गैर कानूनी कंटेंट को हटाने का प्रावधान है। कई देशों में ऐसे नियम पहले से ही लागू हैं।

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