स्व.भगवती सिंह का पार्थिव शरीर कोरोना पॉजिटिव, अब नहीं होगा अंगदान
बीकेटी स्थित चंद्र भानू गुप्ता डिग्री कॉलेज परिसर में कल ली थी अंतिम सांस

क्राइम रिव्यू
लखनऊ। वरिष्ठ समाजवादी चिंतक व पूर्व मंत्री स्वर्गीय भगवती सिंह के पार्थिव शरीर में कोरोना संक्रमण पाया गया। जिसके बाद सोमवार यानी आज उनके पार्थिव शरीर का बैकुंठ धाम में कोविड प्रोटोकॉल के तहत इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में दाह संस्कार होगा। बता दें, बीते रविवार को समाजवादी विचारक भगवती सिंह का निधन हुआ।
उन्होंने शहर की आबोहवा से दूर बीकेटी स्थित चंद्र भानू गुप्ता डिग्री कॉलेज परिसर में अंतिम सांस ली। जिसके बाद रिवर बैंक कालोनी स्थित आवास पर उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन को लाया गया। बता दें, भगवती सिंह ने अपने जीवन काल में ही मेडिकल कॉलेज को अंगदान किया गया था। लेकिन पार्थिव शरीर में कोरोना संक्रमण मिलने के चलते अब दाह संस्कार किया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करीबियों में थे भगवती सिंह
वरिष्ठ समाजवादी चिंतक भगवती सिंह को मुलायम सिंह यादव के अति करीबियों में गिने जाने के साथ ही प्रगतिशील समाजवाद का प्रबल पैरोकार माना जाता रहा है। ईमानदारी व स्वाभिमान उनके भीतर कूट-कूट भरा था। सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक भगवती सिंह ने मुलायम के साथ लंबा संघर्ष किया।
भगवती सिंह के साथ में बिताए दिनों की चर्चा करते हुए मुलायत कहते थे कि जेल में वह लाई चना खाकर अपना पेट भर लेते थे। एक समय सपा में भगवती सिंह की बड़ी हैसियत थी। लेकिन अखिलेश-शिवपाल विवाद के बाद सपा के कार्यक्रमों में उनका आना लगभग बंद हो गया था।
शिवपाल को दिया आशीर्वाद
भगवती का जब सपा से मोह भंग होना शुरू हुआ तो उन्होंने शिवपाल यादव को आशीर्वाद दिया। शिवपाल ने जब सेक्युलर मोर्चा बनाया तो उसका झंडा लेकर भगवती सिंह के पास पहुंचे थे। भगवती सिंह ने लोहिया, चंद्रशेखर और राजनारायण जैसी शख्सियतों से राजनीति का ककहरा सीखा।
समाजवादी आंदोलन को मजबूत करने में पूरा जीवन सर्मिपत कर दिया। कोरोना संक्रमण को लेकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए भगवती सिंह ने लगातार लोगों को जागरूक किया। इसके लिए उन्होंने इंटरनेट मीडिया का सहारा लिया।
उनका कहना था कि देश को महामारी से बचाना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। भगवती सिंह सादगी व त्याग की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने हमेशा गरीबों की मदद की।
जीवन काल में ही किया था देहदान
भगवती सिंह ने मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए अपना देहदान कर दिया था। उन्होंने चंद्र भानु गुप्ता कृषि महाविद्यालय की स्थापना की। वर्ष 1977 में पहली बार महोना से विधायक बने और फिर आवास विकास मंत्री बने थे। 1985 में विधायक,1990 में कैबिनेट में खेलकूद युवा कल्याण मंत्री बने।
1990 में सदस्य विधान परिषद व 1993 में वन मंत्री की कुर्सी संभाली। 1998 में फिर से सदस्य विधान परिषद बने और 2003 में बाह्य सहायतित परियोजना मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। वर्ष 2004 में राज्यसभा सदस्य बनाए गए, उन्होंने ही बख्शी का तालाब तहसील की स्थापना भी कराई।
शोक संवेदनाओं का तांता
भगवती सिंह के निधन की सूचना फैलते ही शोक संवदेना जताने का सिलसिला तेज हुआ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उनके आवास पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव भी शोक व्यक्त करने भगवती सिंह के निवास पर पहुंचे थे। नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने भी गहरा शोक व्यक्त किया।
विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित, राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे, बौद्धिक सभा संयोजक दीपक मिश्रा, सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी, पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप व डा. राजपाल कश्यप ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए।