कलश यात्रा के साथ शुरू हुई भागवत कथा

माल के ग्राम हन्नी खेड़ा में पांच दिवसीय श्रीमदभागवत कथा का शुभारंभ

क्राइम रिव्यू

लखनऊ। माल के ग्राम हन्नी खेड़ा में पांच दिवसीय
श्रीमदभागवत कथा का शुभारंभ गुरुवार को कलश यात्रा के साथ हुआ। नैमिषारण्य से आए कथा वाचक पंडित सुरेश अवस्थी ने शाम को कथा के प्रथक दिवस में श्रीमदभागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है। आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति मिलती है। चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमदभागवत कथा सुननी चाहिए। भागवत श्रवण मनुष्य केे सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। उन्होंने बताया कि कलयुग में भागवत कथा मोक्ष दायनी है। कलयुग के प्रभाव से ज्ञान वैराग्य बूढ़े हो गए थे। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से वह पुनः तरुण हो गए थे, तब भक्ति से दक्षिणा स्वरूप में यह मांगा गया कि कलयुग में श्रीमद्भागवत कथा सुनने वाले को अपनी दासी प्रदान करें। भक्ति की दासी के नाम है मुक्ति। उन्होंने अच्छे ओर बुरे कर्मो की परिणिति को विस्तार से समझाते हुए आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी ओर गौमाता के पुत्र गोकरण के कर्मो के बारे में विस्तार से वृतांत समझाया ओर धुंधकारी द्वारा एकाग्रता पूर्ण भागवत कथा श्रवण से प्रेतयोनी से मुक्ति बताई तो वही धुंधकारी की माता द्वारा संत प्रसाद का अनादर कर छल.कपट से पुत्र प्राप्ती ओर उसके बुरे परिणाम को समझाया।मनुष्य जब अच्छे कर्मो के लिए आगे बढता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है ओर हमारे सारे कार्य सफल होते है। ठीक उसी तरह बुरे कर्मो की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियां हमारे साथ हो जाती है। इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है। छल ओर छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। छल रूपी खटाई से दुध हमेशा फटेगा। छलछिद्र जब जीवन में आ जाए तो भगवान भी उसे ग्रहण नहीं करते है- निर्मल मन प्रभु स्वीकार्य है।

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