गुडम्बा के सींवा गांव में हरियाली के सीने पर ‘लापरवाही का आरा’

17 पेड़ों की परमिट की आड़ में दर्जनों आम के पेड़ काट डाले, सबूत मिटाने को जमीन से जड़े निकाल कर दिया बराबर

क्राइम रिव्यू
लखनऊ। सूबे की योगी सरकार भले ही पर्यावरण संरक्षण को बनाये रखने के लिए प्रति वर्ष करोड़ों की संख्या में पौधें लगवाकर एवं हरे पेड़ों का कटान बन्द कराकर पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने का कार्य कर रही हो लेकिन वन विभाग के अधिकारी व क्षेत्रीय पुलिस सरकारी की मंशा पर पानी फेर रही है।गुडम्बा थाना क्षेत्र के सींवा गांव में स्थित आम के एक बाग में लकडकट्टों द्वारा हरे भरे व फलदार पेड़ों पर आरा चलवाया जा रहा है।

शहर के विस्तार के बाद से ही शहरी सीमा से लगे गावों में हरियाली पर संकट बढ़ता जा रहा है। रियल स्टेट से जुड़े कारोबारियों द्वारा इलाके में प्लाटिंग के लिए ग्रामीणों को अधिक रुपयों के लालच दिया जा रहा है। लालच में फंस कर कृषक अपनी उपजाऊ जमीन भी बेच रहे हैं। प्लाटिंग के वजह अब क्षेत्र में हरे फलदार वृक्षों का कटान जोरों पर है। वन विभाग व लकडकट्टों की मिली भगत से हरे पेड़ों पर धड़ल्ले से आरा चलाया जा रहा है। करीब 3 दिन से गुडम्बा थाना क्षेत्र के सींवा गांव में स्थित एक आम का फलदार बाग जिसमें एक सौ से अधिक पेड़ हैं। उसको को प्लाटिंग करने के लिए बाग मालिक, वन विभाग व लकडकट्टों के सहयोग से कटवा रहा है। इतना ही नहीं, अपनी करतूत को छुपाने के लिए जेसीबी से जड़े खोदकर जमीन भी बराबर करवा दी गई। जिससे लगता ही नहीं कि यहां कभी बाग भी था। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि दर्जनों मजदूर पिछले दो दिन से हरे पेड़ों पर आरा चलाते रहे हैं। लेकिन वन विभाग के अधिकारी व पुलिस कर्मी वहां झांकने नहीं गया। जब वन रेंजर केपी सिंह से इस बाबत पूछने पर उन्होंने बताया कि 17 पेड़ों को काटने का परमिट है। पिछले तीन दिन से पेड़ो को काटने के सवाल पर रेंजर सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि पेड़ मोटे हैं। इसलिए उन्हें काटने में समय लग रहा है। गुडम्बा थाना के बेहटा चौकी प्रभारी मुन्ना सिंह ने भी पेड़ काटने की परमिट होने की बात कही। लेकिन कितने का परमिट है। इसका वह जवाब नहीं दे सके।

वन विभाग अवैध कटान में करता है सहयोग

वन विभाग अवैध कटान में लकड़कट्टों का पूरा सहयोग करता है। किसी बाग के कटने की सूचना पर जब बन विभाग से जानकारी की जाती है तो जबाव मिलता है कि बाग का परमिट है। परमिट की रट वन विभाग के लोग बाग कट जाने तक लगाये रहते है। परंतु परमिट किसी को दिखाते नहीं है। बाग कटने व लकड़ी ठिकाने लगने के बाद वन विभाग अपने को बचाने के लिए 5-10 पेड़ों का अवैध कटान दिखाकर 10-15 हजार रूपये जुर्माना ठेकेदार से जमा करवा कर दर्जनों पेड़ों के कटान को वैध बना देता है।
चौकी पर कई वर्षों से तैनात सिपाही की संरक्षण में चल रहा अवैध कारोबार
ग्रामीणों ने बताया कि बेहटा चौकी में एक सिपाही कई वर्षों से तैनात है। बीच में कुछ समय के लिए चौकी से सिपाही को हटाया गया था, लेकिन सिपाही ने फिर चौकी पर वापसी करा ली। ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में अवैध खनन, अवैध पेड़ो की कटाई से लेकर सभी तरह के अवैध कार्यो से जुड़े लोगों को इस सिपाही का संरक्षण प्राप्त है।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!