गोवा में बीजेपी के ऑपरेशन लोटस से रातों रात कांग्रेस को गई ‘हाफ’, महाराष्ट्र के बाद गोवा में कर दिया खेल

कांग्रेस ने अपने दो विधायकों हमाइकल लोबो और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत पर पार्टी के खिलाफ भाजपा के साथ साजिश रचने का आरोप लगाया है।

क्राइम रिव्यू
लखनऊ। महाराष्ट्र के बाद भारतीय जनता पार्टी ने गोवा में ऑपरेशन लोटस शुरू कर दिया है। कांग्रेस के लिए एक बार फिर मुसीबत खड़ी हो गई है। विधानसभा चुनाव के 5 महीने के अंदर कांग्रेस के 11 में से 5 विधायकों का पक्ष बदलने की बात कही जा रही है। कांग्रेस का कहना है कि वह 5 विधायकों से संपर्क नहीं कर पा रही है। माना जा रहा है कि इन विधायकों ने पाला बदल गिया है और वह जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। फिलहाल गोवा के बाद अब बीजेपी की नजर झारखंड में है और कहा जा रहा है कि बीजेपी वहां भी ऑपरेशन लोटस शुरू कर सकती है। जहां पहले से ही हेमंत सोरेन सरकार पर बादल छाए हुए हैं।
कांग्रेस ने अपने दो विधायकों माइकल लोबो और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत पर पार्टी के खिलाफ भाजपा के साथ साजिश रचने का आरोप लगाया है। पार्टी ने माइकल लोबो को विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद से भी हटा दिया है। कांग्रेस के गोवा प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने यह जानकारी दी है। तीन साल पहले गोवा में भी ऐसा ही हुआ था। फिर कांग्रेस के 10 विधायक एक साथ बीजेपी में गए थे। जिसके बाद राज्य में बीजेपी की सरकार बनी थी।
पांच विधायकों के बीजेपी में जाने की आशंका
राज्य की 40 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 11 विधायक हैं। इनमें से 5 विधायकों के बीजेपी में जाने की चर्चा तेज हो रही है। दिनेश गुंडू राव ने बताया कि माइकल लोबो, दिगंबर कामत, केदार नायक, राजेश फलदेसाई और डेलियाला लोबो से संपर्क नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि एल्टन डी कोस्टा, संकल्प अमोनकर, यूरी अलेमाओ, कार्लोस अल्वारेस फेरेरा और रुडोल्फ फर्नांडिस एक साथ हैं। छठे विधायक एलेक्सो सिक्वेरा पार्टी नेताओं के संपर्क में हैं और कांग्रेस के साथ हैं।
कांग्रेस के बागियों पर लागू होगा दलबदल कानून?
फिलहाल कांग्रेस के 5 विधायकों का पक्ष बदलने की चर्चा हो रही है। अगर ये पांच विधायक बीजेपी में चले जाते हैं तो इन पर दल-बदल विरोधी कानून लागू होगा। इसके तहत उनकी विधायिका खतरे में पड़ जाएगी। गोवा कांग्रेस प्रभारी राव ने बताया कि अगर पांच विधायक पाला बदलते हैं तो उन्हें फिर से चुनाव लड़ना होगा, क्योंकि उनके पास दो तिहाई विधायकों का समर्थन नहीं है। इसलिए उन पर दल-बदल विरोधी कानून लागू होगा। इस बीच ऐसी भी खबरें हैं कि बागी विधायकों को दलबदल से बचाने के लिए तीन और विधायकों से संपर्क किया जा रहा है। अगर बागियों के साथ 8 विधायक होते हैं तो उनकी सदस्यता को कोई खतरा नहीं होगा।

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