….फिर क्या मतलब तेरे-मेरे साथ का
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शीर्षक- मै और तू
चले तू जिस राह पर ,
कांटा कोई चुभ जाए अगर ,
फिर क्या मतलब तेरे-मेरे साथ का ।
बढ़े कदम तेरे ,
और मंजिल छूट जाए अगर ,
फिर क्या मतलब तेरे मेरे साथ का।
मैं मनाऊं तुझे ,
फिर भी तू रूठ जाए अगर ,
फिर क्या मतलब तेरे मेरे साथ का।
खुश रहु मैं ,
और पलके तेरी भीग जाएं अगर ,
फिर क्या मतलब तेरे मेरे साथ का।।
हेमंत की कलम से