अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी से फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी का भव्य उद्घाटन

क्रिएटर - इन डिफरेंट पर्सपेक्टिव कला प्रदर्शनी में शामिल हुए कलाकार व कला प्रेमी

क्राइम रिव्यू

लखनऊ। देश में ही नहीं दूर देशों में भी लखनऊ शहर तमाम विभिन्न कलाओं और संस्कृतियों के लिए प्रसिद्ध रहा है । इसी कड़ी में इन तमाम विधाओं में ख़ास तौर पर दृश्यकला में एक महत्वपूर्ण योगदान और विशेष दख़ल देने जा रहे फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी का सोमवार को भव्य शुभारंभ हुआ। इस मौके पर देश के चार प्रदेशों से दस समकालीन चित्रकारों की एक चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी के साथ गैलरी का भव्य उद्घाटन सोमवार को एम 005, रोहतास प्लीमेरिया, विभूति खंड, गोमतीनगर, लखनऊ में मुख्य अतिथि के रूप में वास्तुकला एवं योजना संकाय लखनऊ की डीन एवं प्रिंसिपल डॉ वंदना सहगल और विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी, फ़िल्म अभिनेता डॉ अनिल रस्तोगी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर लखनऊ पब्लिक स्कूल एंड कॉलेजेस के संस्थापक एंड जनरल मैनेजर डॉ एस पी सिंह एवं फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी संस्थापक नेहा सिंह सहित शहर के कलाकार एवं कलाप्रेमी अपनी उपस्थित रहे।फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी में पहली शुरुआत ” क्रिएटर – इन डिफरेंट पर्सपेक्टिव ” अखिल भारतीय चित्रकला सामूहिक प्रदर्शनी से हुआ है हमें इस बात की बहुत खुशी है कि इस प्रदर्शनी में देश के चार प्रदेशों से 10 युवा और समकालीन कलाकारों की कलाकृतियां शामिल हैं। इस प्रदर्शनी के सभी कलाकार, जिन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य ही कला को बनाया है और लगातार इस क्षेत्र में अपना सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। इस शिविर के क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने विस्तार में बताया कि प्रदर्शनी में देश के विभिन्न राज्यों से 10 कलाकारों की भागीदारी है। इस शिविर के सभी कलाकार अपने अपने स्टूडिओं मे रहते हुए दो-दो कलाकृतियों का निर्माण किया। प्रदर्शनी में उत्तर प्रदेश से सोनल वार्ष्णेय, धीरज यादव, मध्यप्रदेश से राम डोंगरे, मनीषा अग्रवाल, महाराष्ट्र से रामचन्द्र खराटमल, विक्रांत भिषे, अमित चन्द्रकांत ढाने ,नई दिल्ली से गोपाल सामंत्री, सुनील यादव, नीरज यादव रहे। यह सभी युवा कलाकार कई वर्षों से समकालीन कला में अपना विशेष योगदान दे रहे हैं और अपनी कला को स्थापित करने के लिए स्वतंत्र रूप से निरंतर संघर्षशील भी हैं। प्रदर्शनी के सभी कलाकार अपने अपने कलाकृतियों के माध्यम से राज्य, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों पुरस्कार विजेता भी हैं।प्रदर्शनी के सभी कलाकारों ने अपने अपने कृतियों में प्रतीकात्मक रूप में चर्चा व संवाद भी अपने विचारों के साझा किया जिनमे से अमित चंदकान्त ढाने (महाराष्ट्र) ने बताया कि मैं प्रकृति से बहुत प्रभावित हो अपने कृतियों की रचना करता हूँ। अमित चित्र जलरंग, ऐक्रेलिक और तैल तीनों माध्यम में प्राकृतिक चित्रण करने में महारत हासिल किया हुआ है। ये प्रकृति को बहुत ही करीब से और बहुत ही संवेदनशीलता से देखते व महसूस करते हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कलाकार धीरज यादव (उत्तर प्रदेश) अपने चित्रों में रेखाओं के इस्तेमाल ज्यादातर करते हैं। पेंसिल, रंग और तरह तरह के माध्यमों का प्रयोग करके अपने कृतियों को अपने विचारों के अनुसार पूर्ण करते हैं। इनके चित्रों में प्रकृति के अनेकों प्रतीकात्मक तत्त्वों का समावेश होता है। धीरज यादव राष्ट्रपति भवन में एक विशेष आमंत्रित रेसीडेंसी में भी भागीदारी कर चुके हैं। गोपाल सामंत्री ( नई दिल्ली ) के चित्रों में प्रकृति में हो रहे अतिक्रमण और वन्य जीवों की संख्या और उनके नैसर्गिक ठौर को लेकर एक गहरी संवेदना की झलक मिलती है। जहाँ प्राकृतिक जंगलों को काट कर मनुष्य कंक्रीट के जंगलों को अपने स्वार्थ के लिए जिसे एक विकास की संज्ञा देता है वहीं वन्य प्राणी अपने नैसर्गिक आवास की तलाश में कभी कभी बड़े बड़े नगरों में भी आते हुए और कभी अपनी बात कहते हुए गोपाल के चित्रों में नज़र आते हैं। गोपाल के चित्रों में शेर,चीता, जेब्रा, गोरिल्ला और बहुत से कीट, पतंगे और प्राकृतिक दृश्य के दर्शन होते हैं। इनके कलाकृतियों में प्रकृति से खिलवाड़ पर रंगों जो कि कला की भाषा मे एक टिप्पणी होती है। लगातार एक सरल संदेश भी देते हैं कि मनुष्य और प्रकृति के बीच जो संबंध है उसे कभी बिगड़ना नहीं चाहिए, प्रकृति का सम्मान करना चाहिए नहीं तो प्रकृति हमे नष्ट कर देगी। इनके चित्रों को आसानी से समझा जा सकता है। महिला चित्रकार मनीषा अग्रवाल (मध्य प्रदेश) ने भी प्रकृति को नष्ट होने से बचाने का संदेश अपने चित्रों के माध्यम से देती हैं। इनके चित्रों में एक संदेश है कि यदि हम प्रकृति को सहेज और संवार कर नहीं रखेंगे तो एक दिन हर चीज को हमे प्रिजर्व करके एक ज़ार में रखना होगा जो आने वाले समय मे हम अपने आने वाली पीढ़ियों को केवल बता सकेंगे कि ऐसा भी कोई चीज़ था। इनके चित्रों में सभी वस्तुएं एक सीसे की ज़ार में रखा हुआ नजर आता है। मनीषा जलरंग के साथ अन्य प्रयोग करते हुए पेपर पर कला सृजन करती हैं। नीरज यादव ( नई दिल्ली ) अमूर्त प्रकृति चित्रण करते हैं। इनके चित्र प्रतीकात्मक रूप लिए हुए होते हैं। ऐक्रेलिक और कैनवास माध्यम में काम करते हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित राम डोंगरे ( मध्यप्रदेश) लोक कलाओं से प्रभावित हैं। इनके चित्रों में लोक विधाओं से जुड़ी हुई बहुत से तत्व एक समकालीन दृष्टि में प्रस्तुत होती हुई देख सकते हैं। रामचंद्र खराट मल ( महाराष्ट्र ) के चित्र वर्तमान परिदृश्य को प्रस्तुत करने वाले विचारों पर आधारित होते हैं। उत्तर प्रदेश से महिला प्रिंटमेकर सोनल वार्ष्णेय के कृतियों में असल जिंदगी के तमाम उतार चढ़ाव को देखा जा सकता है ख़ास तौर पर महिलाओं के जीवन से जुड़ी हुई अनेक घटनाओं को भरसक प्रस्तुत करने का प्रयास करती हैं। सुनील यादव ( नई दिल्ली ) के चित्र वास्तु के तमाम प्रतीकों को महसूस किया जा सकता है। जिन्हें समझने के लिए एक कला दृष्टि की जरूरत होती है। विक्रांत भिषे (महाराष्ट्र) के चित्रों में असल जीवन की घटनाओं को देखा जा सकता है। इनके चित्र रोजमर्रा की ज़िंदगी से जुड़ी हुई हर आम आदमी की समस्याओं को लेकर एक चिंता को आसानी से समझा जा सकता है। इनके चित्र समाज के जुड़े ख़ास तौर पर किसानों की स्थिति को बयां करती हुई नजर आती है।
इस कला प्रद्रशनी के सभी कलाकार समकालीन विचारधारा पर कार्य करते हुए नज़र आते हैं। प्रकृति, समाज , और सबसे बड़ी मनुष्यता को लेकर चिंतित नज़र आते हैं और अपने अपने कलाकृतियों के माध्यम से एक संदेश के साथ जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। यही एक असल कलाकार की कला के माध्यम से सार्थक अभिव्यक्ति होती है।
इस अवसर पर नेहा सिंह ने कहा कि कला के तमाम माध्यमों में कार्य कर रहे खास तौर पर स्वतंत्र कलाकारों को उनकी कला के लिए हमेशा अनेक गतिविधियों के माध्यम से प्रेरित और प्रोत्साहित करते रहेंगे। फ्लोरेसेन्स आर्ट गैलरी कलाकार और कला प्रेमियों के बीच एक संबंध स्थापित करेगी। और आम लोगों को समकालीन कला से जोड़ने की दृष्टि से एक बेहतर योजना भी बना रही है। अंत मे फ्लोरेसेन्स आर्ट गैलरी की तरफ से ने सभी आये हुए अतिथियों ,कलाकारों कला प्रेमियों का धन्यवाद और आभार व्यक्त किया और कहा कि फ्लोरेसेन्स सदैव युवा कलाकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विभिन्न कला गतिविधियों का आयोजन करती रहेगी।

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