अटल स्वास्थ्य मेला में उमड़ी भीड़, 1000 से अधिक लोगों की हुई निशुल्क स्वास्थ्य जांच

पं.अटल बिहारी बाजपेई मेमोरियल फाउंडेशन के बैनर तले सदर में आयोजित अटल स्वास्थ्य मेला का उद्घाटन उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने किया

क्राइम रिव्यू
लखनऊ। भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेई की स्मृति में “श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई मेमोरियल फाउंडेशन” के बैनर तले सदर के रघुवर  भवन गेस्ट हाउस में “अटल स्वास्थ्य मेला” एवं “स्वास्थ्य संगोष्ठी” का आयोजन किया गया। मेले में एक हजार से अधिक लोगों की निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
अटल स्वास्थ्य मेले का उद्घाटन अटल फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक द्वारा किया गया। इस अवसर पर फाउंडेशन के उपाध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता, छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष प्रमोद शर्मा, सदर आदर्श व्यापार मंडल के अध्यक्ष अखिल गोवर, छावनी परिषद की पूर्व सभासद डॉ रंजीता शर्मा, भारतीय आदर्श योग संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष केडी मिश्रा, मंडल के प्रदेश कोषाध्यक्ष मोहम्मद अफजल व ट्रांस गोमती अध्यक्ष अनिरुद्ध निगम मुख्य रूप से मौजूद रहे। इस अवसर पर स्वास्थ्य मेला को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री श्री पाठक ने कहा अटल जी के विचार हमेशा हम लोगों को प्रेरणा देते रहेंगे। अटल जी के बताए हुए रास्तों को हम सभी को चलना चाहिए तथा राजनीति में इमानदारी बरतनी चाहिए। अटल स्वास्थ्य मेला के संयोजक अटल फाउंडेशन के उपाध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता ने बताया स्वास्थ्य मेला में 1000 से अधिक लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई। उप मुख्यमंत्री द्वारा मेदांता अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों उत्कृष्ट कार्य करने हेतु अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
स्वास्थ संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मेदांता के हृदय रोग विशषज्ञ डॉ हिमांशु गुप्ता ने बताया यदि परिवार माता-पिता, भाई, चाचा या दादा-दादी, को अगर 60 वर्ष की आयु से पहले दिल की बीमारी हुई है, तो आपको भी इस बीमारी से जल्दी पीड़ित होने की आशंका लगभग 10 गुना अधिक होती है। पुरुष के लिए 45 वर्ष से ज्यादा और महिलाओं के लिए 55 वर्ष से अधिक उम्र होने पर दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है। व्यस्त जीवन शैली के कारण अनियमित आहार, जंक फूड खाना, या अधिक मसालेदार भोजन दिल के दौरे का कारण बनता है।डा. धर्मेन्द्र सिंह (डॉयरेक्टर-अस्थि रोग विभाग मेदान्ता) ने बताया कि किसी व्यक्ति में ज्यादा वजन होना गठिया रोग की शुरुआत होने के प्रमुख कारकों में से एक है। हमारे जोड़ों में एक निश्चित सीमा तक वजन उठाने की क्षमता है। शरीर का हर एक किलो अतिरिक्त वजन घुटनों पर चार गुना दबाव डालता है। अध्ययन में यह देखा गया है कि शरीर का 10 फीसदी अतिरिक्त वजन कम करने से गठिया रोग के दर्द में 50 फीसदी की कमी लाई जा सकती है। अधिकतर भारतीय मरीज डॉक्टर के पास इलाज के लिए तब पहुंचते हैं, जब दर्द हद से बढ़ जाता है और इसका असर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने लगता है। इस तरह के पुराने मामलों में पारंपरिक चिकित्सा उपाय, जैसे दवाइयां या जीवनशैली में बदलाव, लंबे समय तक मरीज को उसके दर्द से राहत नहीं दिला पाते। ऐसी हालत में जोड़ों को बदलना (जॉइंट रिप्लेसमेंट) ही एकमात्र  उपाय होता है।
मेदान्ता के इंटरनल मेंडिसिन विभाग की हेड डॉ. रुचिता शर्मा ने बताया कि मंकीपॉक्स एक जूनोटिक वायरस है, यानी यह वायरस जानवरों से ही इंसानों में फैला है। यह पाया गया है कि मंकीपॉक्स वायरस का ट्रांसमिशन बहुत तेज नहीं है। ये वायरस आम लोगों को चपेट में नहीं ले रहा है। बुजुर्गों को कोरोना वायरस की तरह इस खतरे को लेकर घबराने की जरूरत भी नहीं है। देश के ज्यादातर बुजुर्गों को पहले से स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लगी होने के चलते उन पर इसका खतरा न के बराबर है।
दूसरी ओर अभी तक जिन देशों में मंकीपॉक्स फैला है वहां भी बच्चों या महिलाओं में संक्रमण के ज्यादा केस सामने नहीं आए हैं। मंकीपॉक्स से होनेवाली मौत भी बेहद कम दर्ज हुई हैं। स्किन टू स्किन टच और नजदीकी संपर्क में आने पर ही मंकीपॉक्स के संक्रमण का खतरा बढ़ता है। इसका वायरस कोरोना की तरह हवा में नहीं फैलता है। इसलिए मंकापॉक्स को लेकर पैनिक होने की कोई बात नहीं है।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!