गिरफ्तारी से बचने को IAS रामविलास यादव हाईकोर्ट पहुंचे, 21 जून को होगी सुनवाई

लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व सचिव और वर्तमान में उत्तराखंड शासन में अपर सचिव समाज कल्याण के पद पर तैनात है उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी रामविलास यादव

क्राइम रिव्यू

लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व सचिव और वर्तमान में उत्तराखंड शासन में अपर सचिव समाज कल्याण के पद पर तैनात उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी रामविलास यादव ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाई है। हाईकोर्ट में उनकी याचिका पर 21 जून को सुनवाई होगी।

यह है पूरा मामला

गायत्रीपुरम, कुर्सी रोड निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता हेमन्त कुमार मिश्रा ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व सचिव, मंडी परिषद के पूर्व अपर निदेशक व वर्तमान में उत्तराखंड शासन अपर सचिव डॉ रामबिलास यादव के खिलाफ आय से अधिक सम्पति की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय व उत्तर प्रदेश शासन से की थी। जिसपर विशेष सचिव उप्र शासन ने 23 जुलाई 2018 को खुली जांच सतर्कता अधिष्ठान से कराये जाने के आदेश पारित कर दिया। जांच के दौरान प्रकाश में आये तथ्यों के आधार पर सतर्कता अधिष्ठान देहरादून द्वारा तैयार की गयी विस्तृत अन्तिम आख्या उत्तराखण्ड सरकार को भेजी गयी। उत्तराखण्ड सरकार ने 8 अप्रैल 2022 आईएएस रामविलास यादव के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत करने की अनुमति प्रदान कर दी। जिसके बाद 19 अप्रैल 22 को अभियोग पंजीकृत कर लिया गया। उत्तराखंड विजिलेंस ने 11 जून को आईएएस के लखनऊ ठिकाने पर छापेमारी की थी।
आईएएस बोले, मौजूदा संपत्ति में से अधिकांश उनकी पुश्तैनी संपत्ति

विजिलेंस की ओर से आय से अधिक संपत्ति के मामले में आईएएस अधिकारी रामविलास यादव पर आरोप लगाए गए हैं। उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है। इन आरोपों पर आईएएस अधिकारी का कहना है कि उनके पास मौजूदा संपत्ति में से अधिकांश उनकी पुश्तैनी संपत्ति है। वही उनकी पुत्री अमेरिका में वकालत करती है। वह भी उन्हें धनराशि भेजती है। आईएएस ने कहा कि वह विजिलेंस की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच में पूरी तरह से सहयोग के लिए तैयार हैं। इसलिए उनका किसी भी प्रकार से उत्पीड़न न किया जाए और उनकी गिररफ्तारी पर रोक लगाई जाए।

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