सोहर-गीतों के जरिए महिलाओ ने पारम्परिक संस्कृति को कायम रखने पर बल दिया

उड़ान समर वेकेशन फेस्टिवल संपन्न 

क्राइम रिव्यू

लखनऊ। सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था उड़ान के तत्वावधान में ऑनलाइन जूम एप्प पर चल रहे उड़ान समर वेकेशन फेस्टिवल की आज अंतिम समापन बेला में महिलाओं ने सोहर-गीत गाकर अपनी लोक-संस्कृति व परम्परा को कायम रखने पर बल दिया।

सरिता सिंह के संयोजन में चल रहे उड़ान समर वेकेशन फेस्टिवल के आज अंतिम दिन कार्यक्रम की शुरूआत निशा पांडे ने ढोलक पर जुग जुग जिए तू ललनवा सोहर से कर जन्म संस्कार को परिलक्षित करते हुए अवधी संस्कृति की मनोरम छटा बिखेरी। इसी क्रम में प्रतिभा दुबे ने जिठानी ना आई दिन चार वही तो मेरी गोधानिया, सरिता सिंह ने मांगो मांगो री ननद रानी दिल जो, सुमन पटेल ने तुझे सूरज कहूं या चंदा, गिरीश गौतम ने मेरे अंगना तुलसी का पेड़ सोहर को सुनाकर पारंपरिक संस्कृति से अवगत कराया। प्राचीन पारंपरिक लोककला को समर्पित इस कार्यक्रम की अगली कड़ी में पिंकी पांडेय ने ओखरी में मैं बैठी सासु तो बहुआ आरजी, वंदना यादव ने ननदिया आज समझ नाचे राजा मेरे माथे बा, निधी ने आंगन मे अईली नदिया त देत बधाईयां न हो, रंजना ने  नंदी के भईया  मेरे यहां लाल हुआ और संगीता जायसवाल ने लला जन्म सुन आई कौशल्या माता देखो जी बधाई को सुनाकर भारतीय सभ्यता, संस्कृति और परम्परा  को कायम रखने पर बल दिया।

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