जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी ने कहा : भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की संकल्पना जरूर होगी पूरी

एमएलसी पवन सिंह चौहान के जानकीपुरम सेक्टर जी आवास पर धर्मगोष्ठी व दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन

क्राइम रिव्यू
लखनऊ। गोवर्धन पीठ पुरी के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी महाराज ने कहा कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की संकल्पना जरूर पूरी होगी। इसको लेकर पूरे देश में हलचल है। जहां तक सत्ताधीशों और राजनेताओं की बात है तो भगवान सूर्य ही उनकी रक्षा करें। वैसे भी जो व्यक्ति कर्तव्य से विमुख होकर अपने पद का उपभोग करने लगता है उसका पतन तय है। कर्तव्य सबका तय है चाहे वह शंकराचार्य हों या राजनेता। सन्त हो या आमजन। जगतगुरु शंकराचार्य एसआर ग्रुप के चेयरमैन और सीतापुर के एमएलसी पवन सिंह चौहान के जानकीपुरम सेक्टर जी आवास पर आयोजित धर्मगोष्ठी व दीक्षा कार्यक्रम में बोल रहे थे।
धर्म गोष्ठी को संबोधित करते हुए पुरी पीठाधीश्वर ने कहा कि मानव कल्याण के लिए सनातन धर्म सर्वोपरि है। ईश वन्दना ही राष्ट्र वन्दना है। सनातन संस्कृति में जड़, जीव, चेतन सब में कण-कण में भगवान हैं। ईश वन्दना से राष्ट्र की भक्ति स्वतः सिद्ध हो जाती है। राष्ट्र के कल्याण में स्वयं का कल्याण है।
इसी क्रम में उनसे कई श्रोताओं ने अपनी शंका समाधान के लिए कई तरह के प्रश्न भी किए, जिसका बड़े ही सहज और सरल अंदाज में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने उत्तर देकर उनकी शंका का समाधान किया। हिंदुत्व की रक्षा के लिए आम नागरिक क्या करें, इस प्रश्न के उत्तर पर महाराज जी ने कहा कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए अब जागरूक होना होगा। सभी हिन्दुओं को जातिगत तथा दलगत भावना से ऊपर उठकर सनातन धर्म की रक्षा, समाज व राष्ट्रहित के लिए एकता के साथ एकसूत्र में बंधना होगा।
उन्होंने कहा कि जीवन कल्याण के लिए मंदिर, मठ, शिक्षा, धर्म और सेवा यही आधार है और इसी से मानव जीवन का कल्याण हो सकता है। उन्होंने प्रकृति के बारे में भी बताते हुए कहा कि प्रकृति का असंतुलन मानव जीवन के हित में नहीं है। क्योंकि प्रकृति अपना संतुलन स्वयं बनाता है। अगर प्रकृति के साथ खिलवाड़ हुआ तो मानव जीवन को इसका फल निश्चित रुप से भुगतना होगा। श्रद्धालुओं के सवालों को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि लोक कल्याण और आत्म कल्याण में भेद नही है। लोक कल्याण के लिए अगर कोई अग्रसर होता है तो वह आत्म कल्याण ही है। शंकराचार्य ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कर्म का नाम ही धर्म है। स्व की सीमा जो कर्म है वही धर्म हो जाता है। इस दौरान दीक्षा कार्यक्रम भी आयोजित हुआ। इस मौके पर पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, पूर्व विधायक रामपाल यादव, बीकेटी विधायक योगेश शुक्ल, बीकेटी चैयरमैन अरुण कुमार सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष शिवकुमार गुप्ता (प्रतिनिधि) समेत बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, बूढ़े बच्चे काफी संख्या में मौजूद थे।
हस्ताक्षर कर देता तो मंदिर व मस्जिद साथ बन जाते
जगतगुरु शंकराचार्य ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान पत्रकार के राम मंदिर कब तक बनकर तैयार होगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है तो निर्धारित समय सीमा में बनकर तैयार भी हो जाएगा। लेकिन, अगर मैंने तत्‍कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार में विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए होते तो राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ बगल में मस्जिद भी बन गई होती। उस विधेयक में मस्जिद व मंदिर दोनों को साथ बनाने की योजना थी। मैंने हस्ताक्षर नहीं किए, उसी का परिणाम है कि आज श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है और 25 किमी दूर मस्जिद के लिए पांचएकड़ जमीन उपहार में दी गई है। जगतगुरु गुरु ने कहा कि मोदी व योगी इसका श्रेय ले, मुझे इसका श्रेय नहीं चाहिए। ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने पर उन्होंने कहा कि काशी के कण कण में शिव है।

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