बीमारियों के इलाज में रणनीतियों के नए आयाम होंगे उत्पन्न: राजेश कोटेचा

आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर

क्राइम रिव्यू

नई दिल्ली। आयुष मंत्रालय और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बीच बुधवार को लोधी रोड स्थित सीजीओ कॉम्प्लेक्स में आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेजा और डीबीटी की मौजूदगी में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इससे पारंपरिक स्वास्थ्य और जैव प्रौद्योगिकी के संयोजन से नवीन और पथ-प्रदर्शक कार्य करने की अपार संभावनाएं पैदा होंगी। अनुसंधान इसका उपयोग आयुष प्रणालियों के विभिन्न मौलिक सिद्धांतों की खोज के लिए कर सकता है। दरअसल, सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में स्वास्थ्य देखभाल की इस प्राचीन वैज्ञानिक प्रणाली की खोज और अनुप्रयोग के लिए बहु-आयामी और तकनीकी तरीकों की आवश्यकता है।

ज्ञापन से सत्यापन और विकास को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी मदद
समझौता ज्ञापन के तहत आयुष मंत्रालय और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बीच आयुष क्षेत्र में साक्ष्य आधारित जैव प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप की दिशा में एक मंच के तहत विशेषज्ञता लाने के लिए सहयोग, अभिसरण और तालमेल की संभावना का पता लगाने के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास और आयुष हस्तक्षेप की गुणवत्ता में सुधार के लिए जीवन के साथ-साथ जीवन काल और मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग, पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस, कैशेक्सिया, दर्द और संक्रामक रोगों जैसे तपेदिक, पुराने रोगों से संबंधित रुग्णता को कम करने पर काम करता है। समझौता हस्ताक्षर से मौलिक विज्ञान से लेकर सत्यापन और उसके बाद उत्पाद विकास तक के संयुक्त अनुसंधान एवं विकास प्रयासों से न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारतीय योगदान के विकास में काफी मदद मिलेगी। साथ ही इससे डेटा विश्लेषणात्मक उपकरणों के साथ रोग के पशु मॉडल और अन्य उन्नत विश्लेषणात्मक तरीकों का उपयोग करके आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के यंत्रवत अध्ययन पर जोर दिया जाएगा।

रणनीतियों के नए आयाम उत्पन्न होने की उम्मीद
आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और डॉ राजेश एस गोखले ने बताया कि आयुष मंत्रालय और डीबीटी के बीच इस अंतर-मंत्रालयी सहयोग से बीमारियों के इलाज में रणनीतियों के नए आयाम उत्पन्न होने की उम्मीद है।

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