सुहागिनों ने वट सावित्री व्रत रखकर की अखंड सौभाग्य की कामना

वट सावित्री का व्रत हिंदू समाज में महिलाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है

क्राइम रिव्यू
 
लख़नऊ। अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर रविवार को शहर की महिलाओं ने वट वृक्ष के नीचे वट सावित्री की पूजा की। कुर्सी रोड स्थित गायत्री शक्ति पीठ, रिंग रोड, आशीष नगर स्थित शिव मंदिर पर वट वृक्ष के नीचे बड़ी संख्या में महिलाएं एकत्र हुई जहां उन्होंने प्रतीकात्मक स्थापना किए गए सत्यवान और सावित्री के मूर्तियों के समक्ष पूजा की। महिलाओं ने वट वृक्ष पर जलाभिषेक किया और प्रदक्षिणा कर उसके चारों ओर रक्षा सूत्र बांधी। पूजा के लिए महिलाएं बांस से निर्मित पंखे, छोटे-छोटे टोकरियों में फल लेकर पूजा स्थल पहुंच रही थी। वट वृक्ष के नीचे उन्होंने पूजा अर्चना की तथा वहां पर पूजा करा रहे ब्राह्मणों के माध्यम से सत्यवान सावित्री की कथा सुनी। वट सावित्री की पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं एकत्र हुई थी। पूजा करने पहुंची महिलाओं ने बताया कि यह पूजा करने से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख शांति एवम समृद्धि मिलती है। यह पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। वट सावित्री का व्रत हिंदू समाज में महिलाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। वट सावित्री की व्रत में भगवान विष्णु और वट वृक्ष की पूजा की जाती है। माना जाता है कि वट वृक्ष पर मावली धागा बांधने से पति की लंबी उम्र की मनोकामना पूर्ण होती है। वट वृक्ष की पूजा करने से सिर्फ पति की लंबी उम्र ही नहीं बल्कि घर में सुख संपदा की प्राप्ति भी होती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं।
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                                फोटो-अनुपमा सिंह
सनातन धर्म में है पौधों और बड़े वृक्षों की पूजा की बात
मैं मूलतः लखनऊ की ही निवासी हूं। कुंवर अरुण श्रीवास्तव  के साथ विवाह को 19 वर्ष हो गए हैं। पिछले 23 वर्षो से शिक्षण कार्य  कर रही हूँ। शादी के बाद से ही वट सावित्री व्रत रख रही हूं। सनातन धर्म में पौधों और बड़े वृक्षों की पूजा की बात बताई गई हैं, इसलिए आज के दिन सभी सौभाग्यशाली महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए विधि विधान से वट वृक्ष की पूजा करती हैं।
                     – अनुपमा श्रीवास्तव
                                   फोटो – ओम सिंह
पति की लंबी उम्र की कामना से व्रत रखती हूं
मनोवैज्ञानिक ओम सिंह मूलतः प्रयागराज की रहने वाली हैं। मर्चेन्ट नेवी में।इंजीनियर रामेन्द्र कुमार सिंह से शादी के बाद लख़नऊ में 18 वर्षों से रहती हूं। तभी से व्रत रख रही हूं। पति भी साथ में व्रत रखते हैं। क्योंकि हम समानता में विश्वास रखते हैं। जैसे बरगद का पेड़ मजबूत, सुदृढ़ और बहुत सी शाखाओं वाला होता है। जड़े भी बहुत गहरी होती है। उसी तरह पति पत्नी का रिश्ता भी गहरा और मजबूत होना चाहिए। बरगद की हरी पत्तियों और लंबी शाखाओं जैसी, पति की लंबी उम्र की कामना से व्रत रखती हूं।
                         -ओम सिंह
                                     फोटो- रीता सिंह
शादी के 28 साल भी उसी उत्साह से करती हूं पूजा
सुल्तानपुर निवासी रीता सिंह समाज सेवा से जुड़ी हुईं है। उनके पति शैलेन्द्र सिंह पेशे से पत्रकार हैं। शादी के बाद वह अपने पति सहित पूरे परिवार के साथ पिछले 28 सालों से लखनऊ में रहती हैं। वह बताती हैं कि देखते-देखते शादी के 28 साल बीत गए लेकिन आज भी इसी उत्साह से वट सावित्री पूजा करती हूं जैसे पहली बार किया था। जब भी वट सावित्री पूजा आती है शादी की प्रथम पूजा की यादें ताजा हो जाती हैं। पुरातन काल से ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सबसे बड़े वृक्षों में से एक बरगद की पूजा की जाती है। हम जिसकी पूजा करते है उसका संरक्षण भी करते है। हमारे समाज मे तमाम ऐसे अवसर है जंहा पेड़ पौधों की पूजा की जाती है।
                         -रीता सिंह

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